लखनऊ: लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल की एक महिला डॉक्टर, रुचिका टंडन, के साथ 2.8 करोड़ रुपये की ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की जांच में पता चला है कि इस धोखाधड़ी के पीछे पाकिस्तान आधारित एक गैंग है, जो अपने ठगी के कामों के लिए डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है।
रुचिका टंडन, जो न्यूरोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने करीब एक महीने पहले खुद को सीबीआई और ट्राई अधिकारी बताने वाले ठगों द्वारा ठगी का शिकार बनने की शिकायत की थी। आरोपियों ने उन्हें एक फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का डर दिखाकर कई घंटों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया और उनके बैंक खातों की जानकारी हासिल कर ली।
STF के सूत्रों के अनुसार, ठगों द्वारा उपयोग किए गए फोन नंबर +92 से शुरू होते हैं, जो पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय कोड है। गैंग का मास्टरमाइंड पाकिस्तान में बैठा है और वह अपने सदस्यों को वहीं से निर्देशित कर रहा है। इस मामले में अब तक 11 ठगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें CBI अधिकारी बनकर फोन करने वाले तीन युवक भी शामिल हैं।
इस बीच, लखनऊ से एक और डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड प्रोफेसर को साइबर अपराधियों ने लाखों रुपये का चूना लगाया। उन्हें भी लगभग 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया और 54 लाख रुपये ठग लिए गए।
डिजिटल अरेस्ट एक नया साइबर क्राइम तरीका है, जिसमें ठग पीड़ित को वीडियो कॉल पर डराते-धमकाते हैं और उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह देते हैं। इस प्रक्रिया में पीड़ित व्यक्ति इतनी तनाव में आ जाता है कि वह पैसे देने पर मजबूर हो जाता है।
लखनऊ महिला डॉक्टर
STF ने अब एक भगोड़े जवान गोपाल कुमार को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। उसकी गैंग के पास से बरामद लैपटॉप और मोबाइल की जांच की जा रही है, जिससे और ठगों को पकड़ने में मदद मिल सकती है।
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इस मामले ने साइबर सुरक्षा की गंभीरता को एक बार फिर से उजागर किया है। लोगों को इस तरह के ठगों से बचने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।