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पोस्टमार्टम के बदले रिश्वत की मांग, सरगुजा में BMO सस्पेंड, डॉक्टर अमन जायसवाल पद से हटाए गए

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। सिलसिला गांव में डबरी में डूबने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। लेकिन घटना के बाद परिजनों कोपोस्टमार्टम कराने के लिए डॉक्टर द्वारा रिश्वत मांगे जाने का आरोप सामने आया है। इस मामले में मीडिया रिपोर्ट के बाद प्रशासन हरकत में आया और कलेक्टर ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लूड्रा के BMO राघवेन्द्र चौबे को सस्पेंड कर दिया, जबकि संविदा डॉक्टर अमन जायसवाल को पद से हटा दिया गया है।

क्या है मामला?

रविवार को सरगुजा जिले के रघुनाथपुर पुलिस चौकी अंतर्गत सिलसिला गांव में दो बच्चे डबरी (जलाशय) में डूब गए, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। परिजन जैसे-तैसे बाइक से दोनों बच्चों के शव लेकर रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे।

लेकिन शाम हो जाने की वजह से वहां मौजूद डॉक्टर ने पोस्टमार्टम करने से मना कर दिया। अगले दिन जब परिजन फिर से शव लेकर अस्पताल पहुंचे, तो डॉक्टर ने कथित रूप से प्रत्येक शव के पोस्टमार्टम के बदले 10-10 हजार रुपये की मांग की। मोलभाव करने पर पांच हजार से कम पर पोस्टमार्टम करने से इनकार कर दिया गया

मीडिया की खबर पर तत्काल कार्रवाई

इस खबर को विस्तार न्यूज द्वारा प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद मामला तूल पकड़ गया। कलेक्टर ने तत्परता दिखाते हुए:

  • लूड्रा BMO राघवेन्द्र चौबे को निलंबित कर दिया।
  • संविदा डॉक्टर अमन जायसवाल को तत्काल पद से हटाकर स्वास्थ्य संचालनालय भेजा गया।

कलेक्टर ने दोनों मृतक बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश भी जारी किया। SDM को निर्देशित किया गया कि चेक सीधे परिजनों के घर जाकर दिया जाए, ताकि उन्हें दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें।

SDM को भी लगी फटका

परिजनों ने कलेक्टर को यह भी बताया कि शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया गया और उन्हें शव बाइक से ही घर ले जाना पड़ा। इस पर कलेक्टर ने SDM को कड़ी फटकार लगाई और पूरे मामले में संवेदनशीलता बरतने की नसीहत दी।

प्रशासनिक लापरवाही से गुस्साए लो

गांव और आसपास के क्षेत्र में इस घटना के बाद आक्रोश का माहौल है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जहां मृतक बच्चों के शव तक को सम्मान नहीं मिला, वहां सरकारी सिस्टम की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है

CMHO की चुप्पी पर भी उठे सवाल

मामले में जब मीडिया ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) से जवाब मांगा, तो उन्होंने डॉक्टर अमन जायसवाल का बचाव किया, जिससे प्रशासन की नीयत पर भी सवाल खड़े हुए हैं।

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इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि गांव-देहातों में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत क्या है। जहां एक ओर शासन “गांव-गांव स्वास्थ्य सुविधा” का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर मासूमों के शव भी सिस्टम की लालफीताशाही और रिश्वतखोरी की भेंट चढ़ रहे हैं

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