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प्यार के बदले बर्बरता: छात्रा पर बरसीं वार्डन, थप्पड़ों से हुई बेहोश, बालिका छात्रावास की दुर्दशा उजागर

सीधी (मध्यप्रदेश)
सीधी जिले के अमिलिया क्षेत्र में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में एक हैरान कर देने वाली और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल छात्रावास प्रबंधन पर बल्कि पूरे शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वार्डन उर्मिला पटेल द्वारा एक छात्रा को बेरहमी से पीटे जाने की घटना ने यह साफ कर दिया है कि संरक्षण की जगह अब छात्रावास में डर का माहौल बन गया है।

बच्चे से खेलने पर छात्रा को मिली बर्बर सज़ा

गुरुवार दोपहर करीब 3 बजे की बात है। छात्रावास की छात्रा अंजू प्रजापति अन्य छात्राओं के साथ परिसर में मौजूद थी, तभी वार्डन उर्मिला पटेल का दो साल का बेटा वहीं खेल रहा था। अंजू ने बच्चे को स्नेहपूर्वक गोद में लिया और उसके गालों पर प्यार से हाथ फेरा। लेकिन बच्चा अचानक रोने लगा।

बच्चे की रोने की आवाज़ सुनकर वहां पहुंचीं वार्डन उर्मिला पटेल ने बिना कुछ पूछे-समझे अंजू पर थप्पड़ों की बरसात कर दी। मारपीट इतनी गंभीर थी कि छात्रा मौके पर ही बेहोश होकर ज़मीन पर गिर पड़ी। यह देखकर अन्य छात्राओं में अफरा-तफरी मच गई।

अस्पताल में भर्ती, दो घंटे बाद आया हो

बेहोश हुई छात्रा को तत्काल शिक्षक और अन्य छात्राओं की मदद से अमिलिया अस्पताल ले जाया गया, जहां करीब दो घंटे के इलाज के बाद अंजू को होश आया। चिकित्सकों ने फिलहाल छात्रा की हालत स्थिर बताई है, लेकिन मानसिक और शारीरिक रूप से उसे गहरा झटका लगा है।

पुरानी नाराज़गी, अब बनी हिंसा का कारण

इस घटना की जड़ें छात्रावास में पहले से मौजूद तनाव में हैं। छात्राओं के अनुसार, वार्डन उर्मिला पटेल लंबे समय से नाराज़गी और प्रताड़ना के रवैये के लिए जानी जाती रही हैं। छात्राओं ने कई बार भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी।

उनका कहना है कि “हर दिन सिर्फ दाल, चावल और आलू की एक ही सब्ज़ी दी जाती है। न तो पोषण की चिंता होती है, न ही स्वच्छता की।” इन्हीं शिकायतों से खफा वार्डन का रवैया दिनों-दिन कठोर होता गया, और इसी का गुस्सा उन्होंने अंजू पर उतार दिया

शिकायतें अनसुनी, अब भय का माहौ

छात्राओं का यह भी आरोप है कि उन्होंने वार्डन के बर्ताव को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें की थीं, लेकिन न तो प्राचार्य ने कोई संज्ञान लिया और न ही जिला शिक्षा अधिकारियों ने कार्रवाई की।

अब जब मामला शारीरिक हिंसा तक पहुंच चुका है, छात्राओं में डर और आक्रोश दोनों साफ झलक रहा है। उनका कहना है कि यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करने या छात्रावास छोड़ने पर मजबूर होंगी।

प्रशासनिक कार्रवाई की मां

घटना के बाद अभिभावकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों में भी नाराज़गी फैल गई है। वे प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि वार्डन उर्मिला पटेल को तत्काल बर्खास्त किया जाए और इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।

वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, जिससे नाराज़गी और बढ़ती जा रही है।

नारी सशक्तिकरण की योजनाओं पर सवाल

कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास जैसी योजनाएं सरकार द्वारा बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तिकरण के उद्देश्य से चलाई जाती हैं। लेकिन जब इन छात्रावासों में बेटियों के साथ ही हिंसा और अपमान होगा, तो ऐसी योजनाओं की साख पर ही सवाल खड़े होते हैं।

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अब ज़रूरी है सख़्त कार्रवाई

यह घटना न केवल प्रशासनिक विफलता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अगर समय रहते जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह नारी सुरक्षा और शिक्षा व्यवस्था दोनों की असफलता बनकर उभरेगी।

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