सिंगरौली
रेलवे फाटक संख्या 105 बरगवां पर बनाए जा रहे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य अब स्थानीय व्यापारियों और राहगीरों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। दो साल पहले जिस परियोजना की उम्मीदों के साथ नींव रखी गई थी, वह अब धीमी गति, लापरवाही और अव्यवस्था की मिसाल बन चुकी है। लगभग 35.07 करोड़ की लागत से स्वीकृत यह परियोजना आज भी अधूरी है और क्षेत्र के आमजन रोज़ाना इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।
जाम की समस्या से निजात दिलाने की योजना, अब बनी बोझ
13 अक्टूबर 2022 को राज्य शासन ने बरगवां-वैढन मार्ग पर रेल ओवरब्रिज निर्माण को मंजूरी दी थी, ताकि जाम की गंभीर समस्या से निजात मिले। 22 जून 2023 से निर्माण कार्य की शुरुआत हुई, जिसे 24 महीने (दो साल) में पूरा किया जाना था। लेकिन 26 महीने बीत जाने के बाद भी काम सिर्फ 50% ही हो पाया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण एजेंसी की सुस्ती और अधिकारियों की अनदेखी इस देरी के लिए जिम्मेदार है। काम की धीमी रफ्तार के कारण न सिर्फ वाहन चालकों को, बल्कि राहगीरों, स्कूली बच्चों और खासकर व्यापारियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।
कीचड़ में तब्दील हुआ बरगवां बाजार, व्यापारियों की कमर टूटी
बाजार क्षेत्र में ओवरब्रिज निर्माण से निकलने वाली मिट्टी और निर्माण सामग्री पूरे रास्ते में फैली पड़ी है। हल्की सी बारिश होते ही बाजार कीचड़ का दलदल बन जाता है। दुकानों तक पहुंचना तो दूर, सड़क पार करना भी जोखिम भरा हो गया है।

फिसलन भरे रास्तों के कारण राहगीर बार-बार गिर रहे हैं। छोटे व्यापारी, ठेले वाले और दिहाड़ी मजदूरों के लिए बाजार पहुंचना मुश्किल हो गया है। ग्राहक आने से कतरा रहे हैं, जिससे व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर भी संकट
फिसलन भरी सड़कों पर सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों को हो रही है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चे स्कूल से घर कब लौटेंगे, इसी चिंता में दिन गुजरता है। कई अभिभावकों ने तो बच्चों को बरसात के दिनों में स्कूल भेजना बंद कर दिया है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
ओवरब्रिज परियोजना की मॉनिटरिंग लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) सेतु निर्माण इकाई द्वारा की जा रही है। लेकिन निर्माण की रफ्तार देखकर स्पष्ट है कि या तो मॉनिटरिंग हो ही नहीं रही या फिर उसमें भारी लापरवाही बरती जा रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
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जनता का कहना है कि समय पर काम पूरा नहीं हो पाया, अब तो नई समयसीमा या ठोस कार्रवाई की घोषणा तक भी नहीं हुई है। इससे आमजन में निराशा और नाराजगी दोनों बढ़ रही है।
प्रशासनिक असंवेदनशीलता से पनप रहा आक्रोश
ओवरब्रिज निर्माण कार्य से न सिर्फ यातायात प्रभावित है, बल्कि आम जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है। बैंक, गैस एजेंसी, मेडिकल दुकानें और ज़रूरी सेवाओं तक पहुंचना एक चुनौती बन चुका है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो विरोध प्रदर्शन या जनआंदोलन की नौबत आ सकती है।