बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। जहां विपक्ष इसे आम जनता के मताधिकार से वंचित होने का खतरा बता रहा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी अब इस मुद्दे की तपिश महसूस करने लगी है। पार्टी के संगठन स्तर पर भी इस प्रक्रिया को लेकर निराशाजनक फीडबैक मिलने की खबरें सामने आ रही हैं।
भीखू भाई दलसानिया ने बुलाई आपात बैठक
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर 14 जुलाई को BJP के संगठन सचिव भीखू भाई दलसानिया ने राज्य भर के 26 प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने साफ निर्देश दिया कि पार्टी कार्यकर्ता मतदाताओं के बीच जाएं, उनकी आशंकाएं दूर करें और नामांकन प्रक्रिया में हर संभव मदद करें।
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि,
“हमने यह महसूस किया है कि विपक्ष इस मुद्दे पर हमसे आगे निकल गया है। उन्होंने बूथ स्तर पर एक्टिव एजेंट खड़े कर दिए हैं, जबकि हमारे ग्राउंड वर्कर्स अभी पीछे हैं।”
विपक्ष की आक्रामक रणनीति और बीजेपी की चिंता
इस बीच विपक्ष SIR प्रक्रिया को लेकर बेहद आक्रामक मुद्रा में है। उनका आरोप है कि चुनाव आयोग जल्दबाज़ी में कार्य कर रहा है और इससे लाखों मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। इस बात को बीजेपी ने भी आंतरिक स्तर पर स्वीकारा है कि आयोग के अचानक फैसले से उनका संगठन तैयार नहीं था।
विपक्ष ने खासतौर पर यह मुद्दा उठाया कि आवेदन करने के बाद भी वोटर्स को रसीद या acknowledgment नहीं मिल रहा, जिससे उन्हें संदेह हो रहा है कि उनकी एंट्री सिस्टम में दर्ज भी हुई या नहीं।
BLA नेटवर्क को सक्रिय करने पर ज़ोर
बीजेपी ने इस परिस्थिति से निपटने के लिए अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) को फिर से सक्रिय करने की रणनीति अपनाई है। पार्टी ने 19 जुलाई से 31 जुलाई के बीच राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में SIR को लेकर जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है, ताकि मतदाताओं की प्रतिक्रिया और आशंकाएं समझी जा सकें।
भीखू भाई दलसानिया ने कहा कि हर BLA को अधिक से अधिक बूथों का दौरा करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी समर्थक मतदाता सही तरीके से सूची में बने रहें।
70–80% फॉर्म बिना दस्तावेजों के जमा
सूत्रों के मुताबिक, अब तक जो फॉर्म जमा हुए हैं उनमें से 70-80 प्रतिशत में कोई आवासीय प्रमाण नहीं जोड़ा गया है। जबकि चुनाव आयोग ने 11 प्रकार के दस्तावेजों की सूची जारी की थी जो वैध प्रमाण माने जाएंगे। यह मुद्दा बीजेपी के लिए और चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि फॉर्म रिजेक्ट होने की आशंका के चलते वोटर लिस्ट से बड़ी संख्या में नाम कट सकते हैं।

BJP प्रवक्ता का बयान – समर्थन भी, चिंता भी
इस बीच बीजेपी प्रवक्ता ने SIR प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कहा है कि वे चाहते हैं कि हर वैध वोटर लिस्ट में बना रहे, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि कुछ वोटर्स—खासकर वे जो कामकाज के सिलसिले में राज्य से बाहर गए हैं,—उनका नाम लिस्ट से हट सकता है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव आयोग का ऑनलाइन ऐप इन समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होगा।
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बिहार में मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया ने राजनीतिक तापमान को अचानक बढ़ा दिया है। विपक्ष जहां इसे ‘मताधिकार छीनने की साजिश’ बता रहा है, वहीं बीजेपी भी संगठनिक ढांचे को मज़बूत करने और मतदाताओं की नाराज़गी को दूर करने में जुट गई है। आने वाले कुछ हफ्ते यह तय करेंगे कि SIR प्रक्रिया किस पार्टी को नुकसान पहुंचाएगी और किसे इसका लाभ मिलेगा।