बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले महागठबंधन की एक अहम बैठक ने अंदरूनी खींचतान को उजागर कर दिया है। गुरुवार, 17 अप्रैल को पटना में हुई महागठबंधन की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस तरह से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव और बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के बीच असहजता दिखी, उसने साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी तस्वीर धुंधली है।
नेतृत्व पर सस्पेंस बरकरार
बैठक के बाद महागठबंधन के नेताओं ने एक कोऑर्डिनेशन कमेटी के गठन की घोषणा की और तेजस्वी यादव को इसका चेयरमैन नियुक्त किया गया। लेकिन जब मीडिया ने महागठबंधन के संभावित मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सवाल किया, तो दोनों दलों के नेता इस मुद्दे पर एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। तेजस्वी ने सवाल को टालते हुए अल्लावरु की ओर इशारा किया कि वो जवाब दें, लेकिन कांग्रेस नेता ने केवल यह कहकर बात खत्म कर दी कि “महागठबंधन में चेहरे को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं है।”
तेजस्वी यादव ने भी अपनी बात को अधूरा छोड़ते हुए कहा, “सारे पत्ते एक बार में नहीं खोले जा सकते। अगली बार हम एक साथ और जानकारियां साझा करेंगे।”
दिखी रणनीतिक दूरी
हालांकि कांग्रेस और RJD दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि महागठबंधन एकजुट है, लेकिन नेताओं के शब्दों और बॉडी लैंग्वेज से साफ था कि मुख्यमंत्री पद को लेकर अंदरूनी सहमति नहीं बन पाई है। तेजस्वी को कोऑर्डिनेशन कमेटी का चेयरमैन बनाना एक प्रतीकात्मक जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन उन्हें गठबंधन का चेहरा घोषित न किया जाना कई सवाल खड़े करता है।

क्या कांग्रेस कर रही है दावे पर पुनर्विचार?
कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री चेहरे पर स्पष्टता नहीं देना इस ओर इशारा करता है कि पार्टी तेजस्वी यादव को इस भूमिका में स्वीकारने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। वहीं, कांग्रेस चाहती है कि सीट बंटवारे और नेतृत्व पर अंतिम फैसला सामूहिक रूप से हो, न कि RJD के इशारों पर।
तीन घंटे की बैठक, लेकिन निर्णय अधूरा
RJD ऑफिस में करीब तीन घंटे चली बैठक में तेजस्वी यादव, कृष्णा अल्लावरु, लेफ्ट दलों के प्रतिनिधि और VIP पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी शामिल हुए। इस बैठक में तय किया गया कि गठबंधन आगामी चुनावों में ‘एकजुट रणनीति’ के तहत जनता के बीच जाएगा। लेकिन सबसे अहम सवाल—”गठबंधन का चेहरा कौन होगा?”—का कोई ठोस जवाब सामने नहीं आया।
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महागठबंधन का भविष्य इस बात पर टिका है कि क्या सभी दल एक साझा नेतृत्व पर सहमत हो पाते हैं या नहीं। तेजस्वी यादव को कोऑर्डिनेशन कमेटी की जिम्मेदारी देना एक राजनीतिक संकेत भर हो सकता है, लेकिन जब तक कांग्रेस समेत अन्य घटक दल स्पष्ट रूप से उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा मानने को तैयार नहीं होते, तब तक गठबंधन की रणनीति अधूरी ही मानी जाएगी।
अगले कुछ हफ्ते महागठबंधन की दिशा और नेतृत्व को लेकर काफी अहम साबित हो सकते हैं।