इंदौर
मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) एक बार फिर विवादों में है। बीएड के फाइनल सेमेस्टर का रिजल्ट जारी होते ही हड़कंप मच गया, जब सामने आया कि 8,000 में से करीब 5,500 छात्रों को एक ही विषय में फेल कर दिया गया है। इस परिणाम से नाराज छात्र सोमवार को DAVV के आरएनटी मार्ग स्थित नालंदा कैंपस पहुंच गए और जोरदार प्रदर्शन किया।
गेट पर ही रोके गए छात्र, पुलिस ने लगाया बैरिकेड
जैसे ही छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस पहुंचे, पुलिस ने मेन गेट पर बैरिकेडिंग कर दी और किसी को भीतर नहीं जाने दिया। छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती गई और देखते ही देखते सैकड़ों छात्र-छात्राएं सड़क पर बैठ गए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें एक विशेष विषय में जानबूझकर फेल किया गया है, ताकि सप्लीमेंट्री या री-एग्जाम से अधिक फीस वसूली जा सके।
प्रदर्शन में महिलाओं की भागीदारी, बच्चों को लेकर पहुंची मांएं
इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला छात्राएं भी शामिल हुईं। कई महिलाएं अपनी दूध पीती संतानों को लेकर धरना स्थल पर पहुंचीं। उनका कहना था कि उन्होंने कड़ी मेहनत से परीक्षा दी, लेकिन जानबूझकर उन्हें फेल कर दिया गया है। महिलाओं की उपस्थिति ने इस विरोध को और भी मानवीय और भावनात्मक रूप दे दिया।
गेट पर ताला, नहीं मिली VC से मिलने की अनुमति
DAVV प्रशासन ने प्रदर्शन को देखते हुए मेन गेट पर ताला लगवा दिया और किसी भी छात्र को भीतर आने की इजाज़त नहीं दी। गुस्साए छात्रों ने कहा कि वे कुलपति (VC) से मिलकर अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें संवाद तक का मौका नहीं दे रहा है। इससे गुस्सा और बढ़ गया।

VC ने दी जांच की बात, दूसरे कॉलेज के प्रोफेसर जांचेंगे कॉपियां
विवाद बढ़ने के बाद DAVV के कुलपति ने छात्रों की समस्या का समाधान निकालने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि जिस विषय में बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए हैं, उसकी पुनः जांच कराई जाएगी। इसके लिए दूसरे कॉलेजों के प्रोफेसर्स को कॉपियां जांचने के लिए बुलाया जाएगा ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
क्या बोले छात्र?
प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने कहा,
“हमने ईमानदारी से पढ़ाई की थी। परीक्षा में मेहनत की, फिर भी हम सभी एक ही विषय में फेल कैसे हो सकते हैं? ये साजिश है। यूनिवर्सिटी ने जानबूझकर ऐसा किया है।”
एक महिला छात्रा ने बताया,
“मैं अपने छोटे बच्चे को लेकर यहां आई हूं क्योंकि मेरे पास न तो नौकरी है और न ही दोबारा परीक्षा देने के पैसे। अगर अब भी हमारी बात नहीं सुनी गई तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे।”
क्या यह पहली बार है?
नहीं। DAVV में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। बीएड के छात्रों ने पिछले वर्षों में भी रिजल्ट को लेकर प्रदर्शन किया है। कई बार छात्रों को लगातार तीन दिन तक प्रदर्शन करना पड़ा, तब जाकर विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया।
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DAVV का यह विवाद सिर्फ परीक्षा परिणाम से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह एक सिस्टम की पारदर्शिता, न्याय और छात्रों के भविष्य का सवाल है। जब एक ही विषय में हजारों छात्र फेल हो जाते हैं, तो यह सिर्फ छात्रों की गलती नहीं हो सकती। यूनिवर्सिटी प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच कराए और अगर कहीं चूक हुई है तो उसे सुधारने में देर न करे। वरना यह मुद्दा पूरे राज्य में छात्र आंदोलन का रूप ले सकता है।