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बैगा परिवार पर जमीन विवाद को लेकर हमला, स्थगन आदेश के बावजूद गुप्ता परिवार ने की मारपीट – पुलिस पर FIR न लेने का आरोप

सीधी, मझौली तहसील।
जिले के मड़वास थाना क्षेत्र के ग्राम बनिया टोला में जमीन विवाद को लेकर बैगा जनजाति के कई परिवारों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ितों ने कलेक्टर और अजाक थाने में दिए आवेदन में बताया कि स्थगन आदेश के बावजूद दबंगों ने उनके घर में घुसकर गालियां, मारपीट और महिलाओं से अभद्रता की। इतना ही नहीं, पुलिस पर FIR दर्ज न करने का आरोप भी लगाया गया है।

क्या है पूरा मामला?

पीड़ित जयलाल बैगा, लक्ष्यमणि बैगा, राजबहोर बैगा, शिवबहोर बैगा, रामकुमार बैगा, पूनम बैगा, रामखेलावन बैगा, गेंदलाल, सुरेश, शिवनंदन, बेलाकली बैगा, पार्वती बैगा, पिंकी बैगा और फूलमति बैगा सहित अन्य लोगों ने बताया कि वे ग्राम बनिया टोला के आराजी नंबर 127/2, रकवा 0.0430 हेक्टेयर भूमि पर वर्षों से मकान बनाकर निवास कर रहे हैं।

पीड़ितों का आरोप है कि गुरुवार 11 जुलाई को दोपहर करीब 2 बजे सोनू गुप्ता, कमलेश गुप्ता, अयोध्या गुप्ता, राजेश गुप्ता, रामसखा गुप्ता, संजीव गुप्ता और उनके अन्य साथी अचानक हथियारनुमा डंडों के साथ मौके पर पहुंचे। बाड़ी तोड़ते हुए सीधे घर के अंदर घुस आए और महिलाओं को गालियां देते हुए उनके साथ मारपीट करने लगे। महिलाओं द्वारा विरोध किए जाने पर उन्हें धक्का देकर गिराया गया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया।

घटना के दौरान हल्ला सुनकर जब घर के पुरुष सदस्य मौके पर पहुंचे तो उन्हें भी बेरहमी से पीटा गया। मारपीट में कई लोगों को चोटें आई हैं। जब आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो आरोपी पक्ष जमीन खाली करने की धमकी देते हुए वहां से फरार हो गया।

पुलिस पर लगे गंभीर आरोप

घटना के तुरंत बाद पीड़ित परिवार मड़वास थाना पहुंचा, लेकिन उनका आरोप है कि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। असहाय बैगा परिवार ने कहा कि थाने में उन्हें भगा दिया गया, जिसके बाद वे सीधी मुख्यालय पहुंचे और कलेक्टर व अजाक थाने में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।

क्या है न्यायालय का आदेश?

पीड़ित जयलाल बैगा ने बताया कि जिस जमीन पर विवाद है, उसी पर एसडीएम मझौली न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने का स्थगन आदेश दिया हुआ है।
राजस्व प्रकरण क्रमांक 0020/अ-70/2024-25 पर आदेश दिनांक 4 जून 2025 को जारी हुआ, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि

“ग्राम बनिया टोला की आराजी नंबर 127/2 रकवा 0.0430 हेक्टेयर भूमि में यथास्थिति कायम रखी जाए और दोनों पक्ष इस आदेश का पालन करें।”

इसके बावजूद गुप्ता परिवार द्वारा जबरन कब्जे की कोशिश और हमला, न्यायालय के आदेश की खुलेआम अवहेलना है।

पीड़ितों की मांग

बैगा परिवार का कहना है कि वे अनुसूचित जनजाति से हैं और उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है
उन्होंने जिला प्रशासन से दोषियों पर SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की है।
इसके साथ ही स्थगन आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना की कार्यवाही की भी मांग की गई है।

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अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन और पुलिस इस मामले में कब तक कार्रवाई करती है।
एक तरफ पीड़ितों के पास न्यायालय का स्पष्ट स्थगन आदेश, दूसरी ओर खुलेआम हमला और FIR से इनकार — यह प्रशासनिक तंत्र की गंभीर विफलता को उजागर करता है।

यह मामला न केवल आदिवासी अधिकारों, बल्कि न्याय व्यवस्था और प्रशासन की संवेदनशीलता की भी अग्निपरीक्षा बन चुका है।

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