शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। ब्यावरा ब्लॉक में अतिथि शिक्षकों को ज्वाइनिंग से पहले ही वेतन जारी कर दिया गया, जिससे विभागीय लापरवाही और मिलीभगत का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। खास बात यह है कि खुद शिक्षा विभाग के अधिकारी मानते हैं कि 10 अगस्त से पहले किसी भी अतिथि शिक्षक की जॉइनिंग नहीं हुई, लेकिन कई स्कूलों में 1 अगस्त से ही वेतन जारी कर दिया गया।
RTI में सामने आया घोटाल
इस पूरे मामले का खुलासा RTI कार्यकर्ता जयपाल सिंह खींची टोड़ी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों से हुआ है। जानकारी में यह साफ नजर आ रहा है कि 60 से 70 स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को उनकी वास्तविक ज्वाइनिंग तारीख से पहले का वेतन जारी किया गया, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ है।
ज्वाइनिंग के बाद भी वेतन एक अगस्त से!
घोटाले के कुछ उदाहरण चौंकाने वाले हैं:
- श्याम मीणा, ज्वाइनिंग: 5 सितंबर 2024 – वेतन: 1 अगस्त से (34 दिन अतिरिक्त)
- पूजा सौंधिया, ज्वाइनिंग: 21 अगस्त – वेतन: पूरे अगस्त माह का
- कविता कुशवाह, ज्वाइनिंग: 20 अगस्त – वेतन: 1 से 31 अगस्त (10,000 रुपये)
- रामबाबू सौंधिया, ज्वाइनिंग: 17 अगस्त – वेतन: पूरा अगस्त माह
- अरुण कुमार, ज्वाइनिंग: 14 अगस्त – वेतन: पूरा अगस्त माह
- निर्मला, ज्वाइनिंग: 12 अगस्त – वेतन: 1 अगस्त से
इन सभी मामलों में जीएफएमएस पोर्टल पर भी यह जानकारी प्रदर्शित है, लेकिन किसी अधिकारी ने आज तक संज्ञान नहीं लिया।
शिक्षा विभाग की स्वीकारोक्ति: 10 अगस्त से पहले ज्वाइनिंग संभव नहीं
ब्यावरा बीईओ दिलीप शर्मा ने खुद स्वीकार किया कि 5 अगस्त को आदेश जारी हुआ, 6 को पोर्टल पर पद दिखे, 7 से 10 अगस्त तक आवेदन हुए और 12 अगस्त को ज्वाइनिंग हुई। ऐसे में 1 अगस्त से वेतन जारी होना पूरी तरह से गलत और संदिग्ध है।
“यदि किसी को पहले वेतन जारी हुआ है तो संबंधित प्राचार्य और संस्था प्रमुख से जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।”
– दिलीप शर्मा, बीईओ ब्यावरा

डीईओ बोले – दोषियों पर होगी कार्रवाई
राजगढ़ के डीईओ करन सिंह भिलाला ने भी स्पष्ट कहा है:
“यदि इस तरह का घोटाला हुआ है तो निश्चित रूप से जांच होगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
कौन है जिम्मेदार?
इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब ज्वाइनिंग 12 अगस्त के बाद हुई, तो जीएफएमएस जैसे तकनीकी पोर्टल पर 1 अगस्त से वेतन कैसे स्वीकृत हुआ? क्या इसमें ऑपरेटर, संस्था प्रमुख और ब्लॉक लेवल के अधिकारी तक की मिलीभगत शामिल है?
जनता और सरकार के पैसों के साथ मज़ाक
अतिथि शिक्षक जैसे संवेदनशील पद पर इस तरह की गड़बड़ी से न सिर्फ व्यवस्था की साख पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह भी साफ होता है कि जमीनी स्तर पर जवाबदेही का अभाव है। यह सीधे-सीधे जनता के टैक्स के पैसों का दुरुपयोग है।
मांग उठी – एफआईआर हो और रिकवरी की जाए
RTI से जुड़े सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि:
- घोटाले में शामिल सभी लोगों पर FIR दर्ज हो
- गबन किए गए वेतन की रिकवरी की जाए
- ब्लॉक और जिला स्तर पर जवाबदेही तय की जाए
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यह घोटाला सिर्फ एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का संकेत है, जो सिस्टम में बैठे कुछ लोगों की मिलीभगत से हुआ है। जांच और कार्रवाई सिर्फ आश्वासन न बनकर दृढ़ता से लागू हो, तभी इस तरह के मामलों पर लगाम लग सकेगी।