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भोपाल के सरकारी स्कूल में छात्र से पैर दबवाने का वीडियो वायरल, जिला शिक्षा अधिकारी ने जारी किया नोटिस

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित गांधी नगर के शासकीय महात्मा गांधी विद्यालय में एक महिला टीचर का छात्र से पैर दबवाने का वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने न केवल महिला शिक्षिका अनीता श्रीवास्तव को बल्कि स्कूल के प्रिंसिपल को भी नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है। साथ ही, पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है।

वीडियो में दिखा चौंकाने वाला नज़ारा
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में चौथी कक्षा में पढ़ने वाला एक छात्र, महिला टीचर का पैर दबाता नजर आता है। क्लासरूम के माहौल में यह दृश्य कई लोगों को असहज करने वाला लगा। वीडियो को देखने वालों ने टिप्पणी की कि यह कोई स्कूल नहीं, बल्कि मसाज पार्लर जैसा लग रहा था।

मामला कैसे सामने आया
यह वीडियो क्लासरूम में मौजूद किसी व्यक्ति ने मोबाइल में रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। कुछ ही समय में यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया, जिससे मामला शिक्षा विभाग तक पहुंचा और तत्काल कार्रवाई शुरू हुई।

महिला टीचर का पक्ष
वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षिका अनीता श्रीवास्तव ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि चार महीने पहले एक सड़क हादसे में उनके पैर की हड्डी टूट गई थी, जिसके बाद ऑपरेशन कर उसमें रॉड और प्लेट डाली गई। हाल ही में उन्होंने स्कूल आना शुरू किया था।


घटना वाले दिन, स्कूल के गेट पर टूटी हुई टाइल्स के कारण बने गड्ढे में उनका वही पैर फिर से मुड़ गया। दर्द से कराहते हुए वे क्लास में पहुंचीं, तो छात्रों ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया और एक बच्चा प्रेमभाव से उनका पैर सीधा करने की कोशिश करने लगा। शिक्षिका का कहना है कि यह पैर दबवाने की कोई जानबूझकर की गई घटना नहीं थी, बल्कि हालात की मजबूरी थी।

DEO का रुख सख्त
जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि स्कूल परिसर में इस तरह का व्यवहार शिक्षा की गरिमा के विपरीत है, भले ही परिस्थिति कुछ भी रही हो। मामले में पारदर्शी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है, जो वीडियो, गवाहों और संबंधित लोगों के बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी।

स्थानीय स्तर पर बहस तेज
घटना ने स्थानीय अभिभावकों और शिक्षा जगत में बहस छेड़ दी है। कई लोग इसे शिक्षकों की छवि पर धब्बा मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि वीडियो को सही संदर्भ में देखना चाहिए और शिक्षिका की मेडिकल स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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मामला अभी जांच के अधीन है, लेकिन यह घटना एक बार फिर इस सवाल को सामने लाती है कि स्कूलों में आचार-व्यवहार की सीमाएं और पेशेवर मानकों को कैसे बनाए रखा जाए। यह भी स्पष्ट है कि सोशल मीडिया के दौर में किसी भी घटना का गलत या अधूरा चित्रण तेजी से जनमत को प्रभावित कर सकता है।

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