भोपाल में सामने आए रेप और ब्लैकमेलिंग के सनसनीखेज मामले की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी फरहान खान के बैंक खातों की जांच में पता चला है कि पिछले ढाई सालों में उसके खातों में लगभग 50 लाख रुपये का लेनदेन हुआ है। यह लेनदेन उसकी आर्थिक गतिविधियों और अपराधों के बीच गहरे संबंध की ओर इशारा करता है।
पुरानी गाड़ियों का धंधा, लेकिन शक है और गहरा
जांच एजेंसियों के अनुसार, फरहान पुरानी गाड़ियां खरीदने और बेचने के धंधे से जुड़ा था। इस काम में अतीक नामक युवक उसका सहयोगी था। पुलिस ने अतीक के नाम पर पंजीकृत 6 गाड़ियां जब्त की हैं। जांच में आशंका जताई जा रही है कि फरहान और उसके साथी इसी कारोबार की आड़ में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
आलीशान जिंदगी के पीछे छुपा काला सच?
50 लाख रुपये के लेनदेन के अलावा फरहान द्वारा महंगी गाड़ियां खरीदना और आलीशान होटलों में रहना, उसके रहन-सहन पर भी कई सवाल खड़े करता है। राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम का मानना है कि इस रकम का इस्तेमाल रेप और ब्लैकमेलिंग जैसी घटनाओं के संचालन और पीड़ितों पर दबाव बनाने के लिए किया गया हो सकता है।

इस पूरे मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक महीने की जांच के बाद भी पुलिस ने फंडिंग को लेकर कोई ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। इससे संदेह और भी गहराता जा रहा है कि क्या पुलिस किसी बड़े नेटवर्क का खुलासा करने से कतरा रही है, या फिर जांच अभी अधूरी है।
विदेशी फंडिंग और ड्रग कनेक्शन का शक
राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की भी आशंका जताई है कि फरहान और उसके साथियों को विदेश से भी फंडिंग मिल रही थी, और उनका किसी ड्रग तस्करी या आपराधिक नेटवर्क से जुड़ाव हो सकता है। टीम का यह भी मानना है कि मामला केवल रेप और ब्लैकमेलिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे संगठित अपराध की गहरी जड़ें हो सकती हैं।

अब तक 5 गिरफ्तार, एक आरोपी अभी फरार
पुलिस ने इस मामले में अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक आरोपी अभी फरार है। राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने 3 से 5 मई तक भोपाल का दौरा किया था और इस दौरान पुलिस अधिकारियों, पीड़ित छात्राओं और अन्य संबंधित पक्षों से बातचीत कर रिपोर्ट तैयार की। इस टीम में झारखंड की पूर्व डीजीपी निर्मल कौर, वकील निर्मला नायक और आशुतोष पांडे शामिल थे।
रिपोर्ट मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सौंपी गई
राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सौंप दी है, जिसमें तमाम गंभीर सवाल और संदेह दर्ज हैं। अब इस पूरे मामले में राज्य सरकार और पुलिस की भूमिका की निगरानी और अधिक तेज़ हो गई है।
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भोपाल का यह मामला न केवल समाज की बुनियादी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अपराधियों का नेटवर्क कितना संगठित और संसाधन-संपन्न हो सकता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह केस केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि संगठित अपराध और महिला शोषण के खतरनाक गठजोड़ का उदाहरण बन जाएगा। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन इस मामले में कितनी गहराई से कार्रवाई करता है।