मध्य प्रदेश में भारी बारिश के कारण स्थिति चिंताजनक हो गई है। खंडवा जिले में स्थित नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध के गेट बुधवार को खोल दिए गए हैं, जिससे नर्मदा नदी में सुनामी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह कदम बांधों की बढ़ती जलस्तर को नियंत्रित करने और संभावित बाढ़ से निपटने के लिए उठाया गया है।
बांधों के गेट खोलने का निर्णय
इंदिरा सागर बांध के 12 गेट खोले गए हैं, जिससे करीब 4000 क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया है। इसी तरह, ओंकारेश्वर बांध के नौ गेट भी खोल दिए गए हैं, जिसके चलते नर्मदा नदी के जलस्तर में काफी वृद्धि देखी जा रही है। प्रशासन ने निचली बस्तियों में अलर्ट जारी किया है और लोगों को नदी किनारे से हटने के निर्देश दिए हैं।

बारिश और बांधों की स्थिति
मध्य प्रदेश में इस मानसून सीजन में अब तक 65 फीसदी यानी कि 24.5 इंच बारिश हो चुकी है। जबलपुर संभाग में सबसे अधिक बारिश हुई है, जबकि मंडला और सिवनी जिलों में 35 इंच से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून ट्रक गवालियर होकर बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ रहा है, जहां साइक्लोनिक सर्कुलेशन सिस्टम के कारण कुछ जिलों में बारिश का सिलसिला जारी रहेगा।
मानसून की प्रभाव
मध्य प्रदेश में इस साल मानसून की शुरुआत 21 जून को हुई थी और अगले सप्ताह में पूरे प्रदेश में मानसून सक्रिय हो गया। पिछले डेढ़ महीने में हुई अच्छी बारिश ने प्रदेश के जलाशयों को भर दिया है। फिलहाल, 20.5 इंच की बारिश की औसत जरूरत के मुकाबले 24.5 इंच बारिश हो चुकी है, जो कि 4 इंच अधिक है।
प्रशासनिक अलर्ट और लोगों की सुरक्षा
बांधों से पानी के निकलने से नर्मदा नदी में उत्पन्न हुई सुनामी जैसी स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के उपाय किए हैं। लोगों को नदी के किनारे से दूर रहने और संभावित बाढ़ की स्थितियों के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई है।
इस प्रकार, बाढ़ के खतरे को कम करने और जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए इस कदम ने नर्मदा नदी के किनारे के दृश्य को एक अद्वितीय रूप दे दिया है। यह स्थिति प्रशासन की सतर्कता और मौसम के चरम प्रभाव का एक उदाहरण है।