भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक दिलचस्प लेकिन विवादास्पद मोड़ आ गया है। पार्टी के भीतर असंतोष और दिक्कतों का बढ़ता मामला भाजपा के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। कुछ मौजूदा और पूर्व मंत्रियों ने कांग्रेस के नेताओं को भाजपा में शामिल करने पर सवाल उठाए, जिससे मामला और गंभीर हो गया है।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक ने विवादित व्यक्तियों को पार्टी का प्रतिनिधि बनाने का निर्णय लिया, जिससे संगठन के भीतर असंतोष की स्थिति पैदा हो गई। इसके साथ ही राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने अपनी ही पार्टी के सांसद को अधिक सम्मान मिलने पर स्कूल की मान्यता समाप्त करने के आदेश दिए, जो कि पार्टी के भीतर एक नया विवाद खड़ा कर गया है। इन घटनाओं ने भाजपा के भीतर खींचतान को और बढ़ा दिया है।
इन हालातों के बीच, भाजपा के देवरी विधायक बृजबिहारी पटेरिया ने पार्टी से इस्तीफा देकर अपनी असहमति को सार्वजनिक किया। उनके इस कदम ने पार्टी के भीतर असंतोष को उजागर किया है और नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने पुलिस के सामने दंडवत कर पूरी पार्टी के तंत्र को कटघरे में खड़ा कर दिया। सूत्रों के अनुसार, इन विधायकों को सोमवार को तलब किया गया है, जिसमें बृजबिहारी पटेरिया, प्रदीप पटेल और नरयावली के प्रदीप लारिया शामिल हैं। हालांकि, मऊगंज विधायक पटेल ने भोपाल तलब करने से इनकार कर दिया है, जिससे उनकी स्थिति और भी संदिग्ध हो गई है।
मध्य प्रदेश :- अपनों की किरकिरी से सत्ता और संगठन की परेशानियाँ बढ़ीं
इस राजनीतिक हलचल के बीच, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने बढ़ते रेप केसों के संदर्भ में अपनी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस पर, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल करने के बाद उठ रहे मुद्दों पर लगातार अपनी राय रखी है, जो पार्टी के भीतर और असंतोष का संकेत देती है।
इसके अलावा, नरयावली विधायक प्रदीप लारिया ने सार्वजनिक मंच पर अवैध शराब बिक्री का आरोप लगाया और पुलिस से इस पर कार्रवाई करने की मांग की। उनका यह आरोप पार्टी के भीतर की गंदगी को उजागर करता है, जिससे भाजपा की छवि पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। वहीं, विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस से सुरक्षा की मांग की है।
इन सभी घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा के लिए वर्तमान समय चुनौतियों से भरा हुआ है। सत्ता और संगठन के बीच समन्वय की कमी और आंतरिक असंतोष ने पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं करती, तो यह असंतोष और भी बढ़ सकता है, जो कि आगामी चुनावों में पार्टी के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
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इस प्रकार, मध्य प्रदेश की राजनीति में हालात तेजी से बदलते जा रहे हैं, और देखना यह होगा कि भाजपा इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है। पार्टी की विश्वसनीयता और स्थिरता के लिए यह समय महत्वपूर्ण है, और इसके फैसले आगामी राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं।