मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों — इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर — में इसी साल सितंबर-अक्टूबर से इलेक्ट्रिक बसों (ई-बस) का संचालन शुरू होने जा रहा है। यह कदम केंद्र सरकार की ‘नेशनल इलेक्ट्रिक बस प्रोग्राम’ के तहत उठाया गया है, जिसके जरिए देशभर के 88 शहरों में 6,465 से अधिक ई-बसें चलाई जाएंगी। इस योजना में मध्य प्रदेश को कुल 582 बसों का कोटा मिला है।
राज्य में आने वाली ई-बसों में 472 मिडी बसें होंगी, जिनकी यात्री क्षमता 26 सीटों की होगी, जबकि 110 मिनी बसें 21 सीटर होंगी। इन बसों का किराया वर्तमान में चल रही सिटी बसों की तुलना में काफी कम होगा, जिससे आम जनता को किफायती और पर्यावरण के अनुकूल यातायात का साधन उपलब्ध होगा।
बसों का संचालन और रखरखाव ग्रीन सेल मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। यह पूरी व्यवस्था ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) मॉडल पर आधारित होगी, जिसके तहत कंपनी खुद बसें खरीदेगी और उनके चालकों से लेकर मेंटेनेंस तक की जिम्मेदारी निभाएगी। प्रत्येक बस को प्रति किलोमीटर 58.14 रुपये का भुगतान किया जाएगा, जिसमें से 22 रुपये केंद्र सरकार और शेष राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी। अनुबंध के तहत प्रत्येक बस को प्रतिदिन कम से कम 180 किलोमीटर चलाना आवश्यक होगा।

शहरों में संचालन के लिए विशेष डिपो तैयार किए जा रहे हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में दो-दो डिपो बनेंगे, जबकि उज्जैन और सागर में एक-एक डिपो की स्थापना की जाएगी। इन डिपो पर इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग के लिए अत्याधुनिक चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे। कुल मिलाकर 60 करोड़ रुपये की लागत से नौ चार्जिंग स्टेशन तैयार किए जाएंगे, जिनके लिए 41 किलोमीटर लंबी हाई टेंशन लाइन बिछाई जाएगी।
यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि राज्य में ग्रीन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने में भी मददगार साबित होगी। साथ ही, यह नई पीढ़ी के लिए स्वच्छ और सस्ता परिवहन विकल्प उपलब्ध कराने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।
राज्य सरकार का दावा है कि इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से न सिर्फ ईंधन पर निर्भरता घटेगी, बल्कि शहरी परिवहन प्रणाली भी अधिक सुव्यवस्थित और टिकाऊ बनेगी। यात्रियों को प्रदूषण रहित, शोर-रहित और किफायती यात्रा का अनुभव मिलेगा।
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मध्य प्रदेश में ई-बसों की यह शुरुआत शहरी विकास और स्वच्छ परिवहन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। आने वाले समय में अन्य शहरों में भी इस योजना का विस्तार किया जा सकता है, जिससे समूचे राज्य में परिवहन का चेहरा बदलने की उम्मीद है।