दिए हैं। पुलिस की गुप्तचर शाखा ने पहले ही चेताया था कि प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है, लेकिन सरकार और प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाए। बीते डेढ़ वर्षों में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली छह बड़ी घटनाएं सामने आईं हैं, जिनमें से तीन तो बीते तीन दिनों में हुई हैं।
हाल की प्रमुख घटनाएं
- गुना: हनुमान जयंती पर निकले जुलूस पर एक धार्मिक स्थल के पास पथराव हुआ जिससे तनाव फैल गया।
- नीमच: शराबियों और उपद्रवियों ने हनुमान मंदिर में सो रहे तीन जैन मुनियों पर हमला कर बुरी तरह से पीटा।
- भिंड: आंबेडकर जयंती पर जुलूस में डीजे बजाने को लेकर विवाद हुआ, जिसमें गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई।
- रतलाम (सितंबर 2024): गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान मोचीपुरा क्षेत्र में जुलूस पर पथराव हुआ।
इन घटनाओं से साफ है कि पुलिस और प्रशासन घटना के बाद सक्रिय हो रहे हैं, लेकिन घटनाओं को रोकने के लिए कोई पूर्व तैयारी या रणनीति नहीं है।

पुलिस मुख्यालय की गुप्तचर शाखा ने जून 2023 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें वर्ष 2018 से 2023 के बीच हुई सांप्रदायिक घटनाओं का विश्लेषण करते हुए आगाह किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, छेड़छाड़, हत्या और हत्या के प्रयास जैसे मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी। इसके बावजूद पुलिस व प्रशासन सजग नहीं हुए।
कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के कारण
- राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पुलिस की कार्यवाही में पक्षपात।
- खुफिया तंत्र का फेल होना।
- पुलिस बल की भारी कमी—1.25 लाख स्वीकृत पदों में से केवल 95 हजार पदस्थ।
- रात्रि गश्त कमजोर, जिससे अपराधियों में डर नहीं।
- कई मामलों में पुलिस की अपराधियों से मिलीभगत उजागर हो चुकी है।
भोपाल में स्पा सेंटर की आड़ में सेक्स रैकेट और अवैध कॉल सेंटर चलने जैसे मामलों ने पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
विशेषज्ञों की राय
अरुण गुर्टू (सेवानिवृत्त आईपीएस) का कहना है कि पुलिस और प्रशासन को पहले से सतर्क रहना चाहिए और दोनों पक्षों में सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए। पुलिस को स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए।
एनके त्रिपाठी (सेवानिवृत्त डीजीपी) का मानना है कि पुलिस बल की संख्या बढ़ाकर उसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करना होगा और राजनीतिक इच्छाशक्ति भी जरूरी है।
शैलेष सिंह (सेवानिवृत्त विशेष डीजीपी) ने कहा कि हर काम राजनीति से संचालित हो रहा है। शिकायतों की शुरुआत में ही अगर पुलिस सख्ती दिखाए तो हालात नहीं बिगड़ते।
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इन घटनाओं से साफ है कि प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद नाजुक हो गई है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो ये घटनाएं बड़े स्तर पर शांति और सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकती हैं।