धार (मध्यप्रदेश)।
मध्यप्रदेश की राजनीति में ठहराव के बाद अब कांग्रेस ने फुल एक्शन मोड में कमबैक का ऐलान कर दिया है। धार जिले के ऐतिहासिक मांडू में सोमवार को कांग्रेस के ‘नव संकल्प शिविर’ का उद्घाटन हुआ। इस शिविर को पार्टी ने महज एक बैठकी नहीं, बल्कि 2028 की सत्ता वापसी का ब्लूप्रिंट घोषित किया है।
‘वंदे मातरम्’ के साथ हुआ आग़ाज़, संकल्प के साथ हुआ ध्वजारोहण
राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के स्वर के साथ प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, सभी विधायकों, सेवादल और वरिष्ठ नेताओं ने ध्वजारोहण कर शिविर की शुरुआत की। शिविर का उद्देश्य सिर्फ संगठनात्मक नहीं था, बल्कि यह 2028 के विधानसभा चुनावों की रणनीतिक आधारशिला के रूप में देखा जा रहा है।
“पार्टी से बड़ा कोई नहीं” — हरीश चौधरी
प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने शिविर में तीखे शब्दों में संदेश दिया कि कांग्रेस किसी व्यक्ति की पार्टी नहीं, बल्कि सामूहिक विचार और संगठन का नाम है। उन्होंने कहा:
“पार्टी से बड़ा कोई नहीं होता। संगठन एक व्यक्ति की इच्छा से नहीं, सामूहिक सोच से चलता है। अब जनता के हित में निर्णायक लड़ाई जरूरी है।”
“हर मुद्दे पर संघर्ष होगा, अब चुप नहीं रहेंगे” — उमंग सिंघार
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस जल, जंगल, ज़मीन और सम्मान की लड़ाई लड़ेगी।
“हम युवाओं को रोजगार, किसानों को साधन और महिलाओं को सुरक्षा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कांग्रेस अब हर मोर्चे पर जनता की आवाज़ बनकर लड़ेगी।”
‘जनता बदलाव चाहती है, यह हमारा मौका है’ — जीतू पटवारी
प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि अब वक्त है एकजुट होकर लड़ने का। उन्होंने कहा:
“मध्यप्रदेश की जनता अब बदलाव चाहती है। हम हर विधानसभा में स्थायी प्रभारी नियुक्त करेंगे और जनता के मुद्दों को सड़कों और सदनों में उठाएंगे। यह परीक्षा का समय है — हमें 2028 में पास होना है।”
‘मिशन 2028’ का ऐलान: कांग्रेस मैदान में उतरने को तैयार
शिविर में यह तय किया गया कि अगले तीन वर्षों तक संगठन का हर नेता, हर कार्यकर्ता सिर्फ मिशन 2028 पर केंद्रित रहेगा। हर विधानसभा क्षेत्र में ज़मीनी काम, जनसंपर्क, और जनभावनाओं को केंद्र में रखकर रणनीति तैयार की जाएगी।
सियासी संदेश साफ: भाजपा को चुनौती देने मैदान में फिर से उतरी है कांग्रेस
मांडू से कांग्रेस ने न सिर्फ पार्टी की एकजुटता दिखाई, बल्कि यह साफ संदेश भी दिया कि अब वह सिर्फ विपक्ष नहीं, बल्कि विकल्प बनने की तैयारी में है। शिविर से एक स्वर में यह संकल्प लिया गया कि “अब चुप नहीं बैठेंगे, हर अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे, और जनता के साथ मिलकर सत्ता परिवर्तन की नींव डालेंगे।”
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मांडू का ‘नव संकल्प शिविर’ कांग्रेस की सुस्त पड़ी राजनीति को फिर से एक्टिव करने का निर्णायक प्रयास माना जा रहा है। क्या कांग्रेस इस मिशन को 2028 तक ज़मीन पर उतार पाएगी? यह आने वाला समय बताएगा, लेकिन शुरुआत ने माहौल ज़रूर बदल दिया है।