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मोहन सरकार ने लगाई CBI पर लगाम, क्यू लिया विपक्ष पार्टी की सरकारों जैसा फैसला

भोपाल, 19 जुलाई: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकार क्षेत्र को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. अब से राज्य में किसी भी प्रकार की जांच करने से पहले इन एजेंसियों को राज्य सरकार से लिखित अनुमति लेनी होगी. यह आदेश 1 जुलाई से ही प्रभाव में आ गया है।

गृह विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा 3 के तहत राज्य सरकार को प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए यह निर्णय लिया गया है। इस फैसले के बाद सीबीआई समेत सभी केंद्रीय एजेंसियों को राज्य में किसी भी व्यक्ति, सरकारी अधिकारी या संस्था के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होगी।

क्यों लिया गया यह फैसला?

हालांकि, सरकार ने इस फैसले के पीछे कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया है. लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह कदम नए कानूनी ढांचे के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, जो केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए आपराधिक कानूनों में से एक भारतीय न्याय संहिता के कार्यान्वयन के बाद लागू हुआ है।

विपक्षी दलों का आरोप : गत फैसले के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह कदम केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए नहीं, बल्कि सरकार अपने खिलाफ होने वाली जांचों से बचने के लिए उठा रही है।

अन्य राज्यों में भी लागू है यह व्यवस्था: मध्य प्रदेश से पहले पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, केरल और तेलंगाना जैसे राज्यों ने भी इसी तरह की व्यवस्था लागू की है। इन राज्यों में ज्यादातर विपक्षी दलों की सरकारें हैं।इसीलिए ऐसा माना जा रहा की मध्यप्रदेश में तो भाजपा की ही सरकार है, फिर ऐसे नियम बनाने के पीछे क्या कारण हो सकते। कही मोहन सरकार केंद्र से अलग जाने का तो नही सोच रही।

आगे क्या?: यह दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या यह मामला अदालत में भी जाता है. फिलहाल, मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले से राज्य में केंद्रीय एजेंसियों की जांच पर एक अंकुश लग गया है.

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