जनवरी के FPPAS की वसूली अप्रैल के बिल में, उपभोक्ता परिषद ने जताई तीखी नाराज़गी
लखनऊ, 22 अप्रैल 2025 —
उत्तर प्रदेश में महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों को बिजली के बढ़ते बिल के रूप में एक और झटका लगा है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने अप्रैल 2025 से 1.24 प्रतिशत की बिजली दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। यह वृद्धि फ्यूल चार्ज (ईंधन अधिभार) के रूप में सभी उपभोक्ताओं के मासिक बिल में जुड़ने जा रही है।
किसे और कितना होगा असर?
यह फैसला प्रदेश के करीब 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। यह जनवरी महीने के ‘फ्यूल एंड पावर पर्चेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (FPPAS)’ की वसूली के तहत लागू किया गया है, जिसे अब अप्रैल के बिजली बिल में जोड़ा जाएगा।
UPPCL के अनुसार, जनवरी में कंपनी को करीब 78.99 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आई थी, जिसे अब उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा।
अब हर महीने अलग-अलग सरचार्ज
बिजली दरों में यह बढ़ोतरी एक बार की नहीं है। अब से हर महीने ईंधन की कीमतों के आधार पर बिजली कंपनियां अलग-अलग फ्यूल सरचार्ज वसूल सकेंगी। यह 2025 से 2029 तक लागू रहने वाले ‘मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन’ का हिस्सा है।
सरल शब्दों में कहें तो –
“अब हर महीने बिजली का बिल इस बात पर निर्भर करेगा कि उस महीने कंपनी ने बिजली बनाने के लिए कितना महंगा कोयला या गैस खरीदा।”

बिजली दरों में इस बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ता परिषद ने तीखा विरोध दर्ज किया है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया है कि:
- बिजली निगम ने 33,000 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं का एडवांस जमा कर रखा है।
- उस धनराशि का कोई स्पष्ट हिसाब नहीं दिया गया है।
- जब तक उसका हिसाब नहीं होता, तब तक नई वसूली नियमों का उल्लंघन है।
5 साल बाद दरों में बढ़ोतरी
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पिछले पांच वर्षों से बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। लेकिन अब सरकार ने फ्यूल सरचार्ज की व्यवस्था लागू कर दी है, जिससे हर महीने बिल में उतार-चढ़ाव हो सकता है
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जहां एक ओर सरकार का तर्क है कि यह व्यवस्था ऊर्जा की लागत को वास्तविक रूप से दर्शाती है, वहीं उपभोक्ता संगठनों का कहना है कि यह अविवेकपूर्ण और मनमाना फैसला है। आगामी महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बढ़ते बिजली बिलों को लेकर आम जनता और राजनीतिक दल क्या रुख अपनाते हैं।
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