रतलाम, मध्यप्रदेश।
मध्यप्रदेश पुलिस विभाग से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। रतलाम जिले की 24वीं बटालियन में पदस्थ डीएसपी रामबाबू पाठक ने शुक्रवार को आत्महत्या करने की कोशिश की। उन्होंने डिप्रेशन की कई गोलियां खाकर अपनी जान देने की कोशिश की, लेकिन समय रहते उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया गया। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें रतलाम से इंदौर रेफर किया गया है।
इस घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। डीएसपी पाठक ने आत्महत्या के प्रयास से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा, जिसमें उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। मामला संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल होने के कारण इसकी जांच को लेकर उच्चस्तरीय चर्चा शुरू हो गई है।
कैसे हुआ मामला सामने?
डीएसपी रामबाबू पाठक शुक्रवार सुबह रोजाना की तरह परेड में शामिल हुए। इसके बाद वे अपने सरकारी आवास लौटे। वहां उन्होंने डिप्रेशन की दवाओं के साथ-साथ अन्य दवाएं अत्यधिक मात्रा में खा लीं। कुछ देर बाद जब उनकी तबीयत बिगड़ने लगी तो घर पर मौजूद लोगों को शक हुआ और तुरंत उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया।
प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर देखते हुए उन्हें रतलाम मेडिकल कॉलेज और फिर वहां से इंदौर के एक बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया गया। डॉक्टर्स के अनुसार, उन्हें समय रहते अस्पताल लाया गया, लेकिन फिलहाल उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
सुसाइड नोट में लगाए गंभीर आरोप
डीएसपी रामबाबू पाठक ने अपने सुसाइड नोट में पूर्व व वर्तमान वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने नोट में जिन अधिकारियों के नाम लिखे हैं, वे हैं:
- पूर्व वरिष्ठ IPS अधिकारी यूसुफ कुरैशी
- पूर्व IG कृष्णा वेडी
- पूर्व DIG इरशाद वली
- वर्तमान में ट्रांसफर हो चुके IPS अमित तोलानी

इसके अलावा उन्होंने एक पूर्व ADG रैंक के अधिकारी का भी जिक्र किया है, जिन पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप है। सुसाइड नोट में दिनांक 1 जुलाई 2025 दर्ज है, जबकि घटना 2 अगस्त से पहले की बताई जा रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि डीएसपी पाठक कई दिनों से मानसिक रूप से संघर्ष कर रहे थे।
सुसाइड नोट किया था सोशल मीडिया पर पोस्ट
बताया जा रहा है कि डीएसपी पाठक ने इस सुसाइड नोट को सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया था, लेकिन कुछ समय बाद वह पोस्ट डिलीट हो गई। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन्होंने खुद पोस्ट हटाई या किसी और ने। इससे मामले की संवेदनशीलता और बढ़ गई है।
क्या कहता है पुलिस महकमा?
अब तक प्रशासन की ओर से कोई विस्तृत आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन पुलिस विभाग के अंदरखाने में गहन हलचल है। सूत्रों के अनुसार, डीएसपी पाठक लंबे समय से डिप्रेशन का शिकार थे और अधिकारियों से प्रताड़ना को लेकर उन्होंने कई बार मौखिक शिकायतें भी की थीं, जिन पर शायद कार्रवाई नहीं हुई।
विभाग में मानसिक स्वास्थ्य पर फिर सवाल
डीएसपी रामबाबू पाठक द्वारा आत्महत्या की कोशिश ने एक बार फिर पुलिस विभाग के भीतर मानसिक स्वास्थ्य, दबाव और वरिष्ठों के व्यवहार जैसे संवेदनशील मुद्दों को उजागर किया है। यदि सुसाइड नोट में लगाए गए आरोप सही साबित होते हैं, तो यह मध्यप्रदेश पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होगी।
अब देखना होगा कि इस पूरे मामले में जांच किस दिशा में जाती है और क्या जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
यह भी पढ़िए – सीधी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने पेश की इंसानियत की मिसाल, दुखी परिवार को दिलाया न्याय और सम्मान
पुलिस विभाग में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति लगातार चिंता का विषय बनती जा रही है। ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि केवल कानून-व्यवस्था नहीं, बल्कि बल के जवानों और अफसरों की मानसिक सुरक्षा भी उतनी ही अहम है।