अब लोन की किस्त होगी कम, अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश
नई दिल्ली – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर आम जनता को राहत दी है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी यानी 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। अब यह दर घटकर 6.25 प्रतिशत से 6 प्रतिशत पर आ गई है। साल 2025 में यह दूसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में कटौती की है। यह फैसला RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक में लिया गया, जिसकी जानकारी गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, “मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के बीच यह फैसला अर्थव्यवस्था को गति देने और उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ कम करने के उद्देश्य से लिया गया है।”
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। रेपो रेट बढ़ने पर बैंक महंगे ब्याज पर कर्ज लेते हैं और बदले में ग्राहकों को भी महंगे लोन देने लगते हैं। इसके उलट, जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक सस्ते ब्याज पर कर्ज लेते हैं और ग्राहकों को भी कम ब्याज दरों पर लोन मुहैया कराते हैं।

EMI पर असर
रेपो रेट में कटौती का सीधा असर होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की EMI पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी ने 20 लाख रुपये का होम लोन 8.5% ब्याज दर पर 20 साल की अवधि के लिए लिया है, तो उनकी मासिक EMI लगभग 17,356 रुपये होती है। रेपो रेट में 0.25% की कटौती के बाद यह ब्याज दर घटकर 8.25% हो जाती है, जिससे EMI घटकर लगभग 17,041 रुपये हो जाती है। यानी हर महीने करीब 315 रुपये की बचत।
अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्याज दरों में यह कटौती देश की धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंक सकती है। जब लोन सस्ते होते हैं, तो बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ता है और लोग अधिक निवेश करने या खरीदारी करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होती है, जो आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देती है।
RBI का यह कदम न केवल उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाएगा बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। अब बैंकों की बारी है कि वे इस कटौती का लाभ ग्राहकों तक जल्द पहुंचाएं।