खंडवा, मध्यप्रदेश।
लाड़ली बहना योजना जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए शुरू किया था, अब कुछ गांवों में नशे की लत का शिकार हो चुकी पुरुष मानसिकता की भेंट चढ़ती दिख रही है। खंडवा जिले के पिपलौद थाना क्षेत्र के ग्राम बलवाड़ा से आई महिलाओं की दर्दभरी शिकायत ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है।
जनसुनवाई में फूट-फूट कर रोई महिलाएं
मंगलवार को जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा के सामने बलवाड़ा गांव की दर्जनों महिलाएं पहुंचीं और अपनी पीड़ा सुनाई। उनका कहना था कि सरकार की तरफ से जो लाड़ली बहना योजना की ₹1,250 की मासिक सहायता मिलती है, उसे उनके पति और बेटे जबरन छीन लेते हैं और शराब में उड़ा देते हैं। महिलाएं बेबस हैं – न घर का राशन बचता है, न इज्जत।
शराब के लिए राशन तक बिकता है
लीलाबाई, जो गांव की एक महिला हैं, ने बताया कि गांव में खुलेआम कच्ची शराब बिकती है। शराब के लिए पति-बेटे घर का राशन तक बेच देते हैं, बच्चों को पीटते हैं और विरोध करने पर मारपीट करते हैं। किरण बाई नामक महिला ने जनसुनवाई में बताया कि इस शराबखोरी की वजह से उनके जवान बेटों की शादियां तक नहीं हो पा रहीं, क्योंकि गांव की बदनामी दूर-दूर तक फैल चुकी है।
कार्रवाई सिर्फ कागजों में
यह मामला कोई पहला नहीं है। इससे पहले भी 24 जून को पांचबेड़ी गांव की महिलाएं और 8 जुलाई को ग्राम अमलानी की महिलाएं जिला मुख्यालय पर पहुंच चुकी हैं और घर-घर अवैध शराब बिक्री की शिकायत कर चुकी हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन शिकायतों पर न आबकारी विभाग और न ही पुलिस विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई की।
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बलवाड़ा गांव तीसरा ऐसा गांव है, जहां की महिलाएं सार्वजनिक रूप से अपनी पीड़ा लेकर सामने आईं। बावजूद इसके अवैध शराब की बिक्री पर रोक नहीं लग पाई है, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि स्थानीय स्तर पर शराब माफियाओं को संरक्षण प्राप्त हो सकता है।
सीईओ ने दिए कार्रवाई के निर्देश, पर भरोसा नहीं
इस बार शिकायत सुनने के बाद जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा ने सहायक जिला आबकारी अधिकारी सीएस मीणा को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन महिलाओं का कहना है कि पहले भी ऐसे निर्देश दिए जा चुके हैं, पर जमीन पर कुछ नहीं हुआ। इसलिए अब उन्हें सरकारी व्यवस्था पर विश्वास नहीं रहा।
सरकार की योजना, लेकिन लाभ पुरुषों के हाथ में
लाड़ली बहना योजना का उद्देश्य था कि महिलाएं अपनी आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूत करें, लेकिन गांवों में हालात ये हैं कि पुरुष इस योजना के पैसों पर भी कब्जा जमा चुके हैं। ऐसे में योजना का वास्तविक उद्देश्य धुंधला पड़ता नजर आ रहा है।
यह सवाल खड़ा करता है कि क्या महिलाओं को सीधे नकद देने से बेहतर विकल्प जैसे राशन, गैस, या सेवाओं में सब्सिडी पर ध्यान नहीं देना चाहिए?
अवैध शराब के खिलाफ ठोस नीति की ज़रूरत
खंडवा जिले के इन गांवों से आई रिपोर्टें यह स्पष्ट करती हैं कि अवैध शराब अब केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक विघटन और महिला उत्पीड़न का बड़ा कारण बन चुकी है। पुलिस और प्रशासन की मौन सहमति या लापरवाही, इस समस्या को और गंभीर बना रही है।
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बलवाड़ा और आसपास के गांवों की महिलाएं अब सिर्फ शिकायत नहीं कर रहीं, वे प्रण ले चुकी हैं कि इस नशे की लत को गांव से बाहर निकालकर रहेंगी। लेकिन इसके लिए उन्हें सिर्फ प्रशासन की कार्रवाई नहीं, समाज के हर वर्ग का साथ चाहिए।
सरकार को चाहिए कि वो सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने वाली योजनाओं को भी प्राथमिकता दे।
अब समय है कि लाड़ली बहनों की आवाज़ को सिर्फ कागजों पर कार्रवाई नहीं, जमीनी बदलाव में तब्दील किया जाए। वरना, यह योजना भी सिर्फ एक आंकड़ा बनकर रह जाएगी।