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लाड़ली बहना योजना से बाहर हुईं 10 हजार से ज्यादा महिलाएं, अब नहीं मिलेगा सितंबर की किस्त का लाभ

भोपाल
मध्यप्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी और लोकप्रिय लाड़ली बहना योजना को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 10,000 से ज्यादा महिलाओं को योजना से अपात्र घोषित कर दिया गया है। ऐसे में इन महिलाओं को अगले महीने यानी सितंबर में आने वाली 28वीं किस्त के 1250 रुपए का लाभ नहीं मिलेगा।

3.92 लाख महिलाएं अब तक सूची से बाहर

लाड़ली बहना योजना को शुरू हुए महज दो साल और कुछ महीने ही हुए हैं, लेकिन इस अवधि में अब तक कुल 3.92 लाख से ज्यादा महिलाओं के नाम लाभार्थी सूची से हटाए जा चुके हैं।
इसका सीधा मतलब यह है कि भाईदूज पर मिलने वाली बढ़ी हुई राशि यानी 1500 रुपए का लाभ भी अब उन्हें नहीं मिलेगा।

क्यों काटे गए नाम?

सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार अलग-अलग वजहों से लाखों बहनों को योजना से बाहर किया गया है। इनमें प्रमुख कारण हैं –

  • आयु सीमा : इस महीने 60 वर्ष से अधिक आयु की 10,963 महिलाएं अपात्र पाई गईं।
  • अपात्र पाई गईं महिलाएं : संख्या 690 है।
  • लाभ का परित्याग करने वाली : 890 महिलाएं।
  • मृतक लाभार्थी : 646 महिलाएं।
  • समग्र पोर्टल से हटाई गईं : 426 महिलाएं।
  • आधार से समग्र डि-लिंक : 505 महिलाएं।

किन महिलाओं को नहीं मिलेगा लाभ?

यदि आप योजना से जुड़ी हैं या आवेदन करने का विचार कर रही हैं, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि किन परिस्थितियों में नाम काटा जा सकता है—

  • 60 वर्ष से अधिक आयु होने पर।
  • अविवाहित महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यह केवल विवाहित, विधवा और परित्यक्ता महिलाओं के लिए है।
  • परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपए से अधिक होने पर।
  • जिन परिवारों का कोई सदस्य पूर्व सांसद/विधायक रहा हो।
  • जिन परिवारों का कोई सदस्य सरकारी सेवा या पद पर है।

नाम सूची से हट जाए तो क्या करें?

  • निकटतम CSC सेंटर या पंचायत कार्यालय से जानकारी लें।
  • यदि 60 वर्ष से कम उम्र होने के बावजूद नाम कटा है तो आपत्ति दर्ज कराएं।
  • सुनिश्चित करें कि आधार और समग्र पोर्टल सही से लिंक हो।
  • विभागीय हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं।

समग्र पोर्टल से जुड़ी बड़ी समस्या

ताजा आंकड़ों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि कई महिलाओं के नाम आधार से समग्र ID डि-लिंक होने की वजह से सूची से हट रहे हैं। यदि आधार और समग्र पोर्टल का कनेक्शन टूट जाता है, तो सिस्टम लाभार्थी की पहचान सत्यापित नहीं कर पाता। ऐसे में DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) रुक जाता है और महिला को स्वतः ही अपात्र मान लिया जाता है।

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कुल मिलाकर, लाड़ली बहना योजना से हर महीने लाखों महिलाएं जुड़ रही हैं, लेकिन बड़ी संख्या में पात्रता मानदंड पूरे न करने के कारण महिलाएं सूची से बाहर भी हो रही हैं। सरकार और विभागीय अधिकारी लगातार तकनीकी खामियों को दूर करने की बात कर रहे हैं, ताकि वास्तविक पात्र महिलाओं को योजना का लाभ मिल सके।

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