सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट (Waqf Act) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं और केंद्र सरकार से वक्फ से जुड़ी कुछ जटिल कानूनी व्यवस्थाओं पर स्पष्ट जवाब मांगा।
कोर्ट ने केंद्र से यह पूछा कि अगर कोई ऐतिहासिक मस्जिद, जो 13वीं, 14वीं या 15वीं सदी में बनी हो, उसके पास आज के समय में ज़रूरी दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं, तो उसका रजिस्ट्रेशन वक्फ के रूप में कैसे होगा? कोर्ट ने यह भी माना कि इतनी पुरानी इमारतों के लिए दस्तावेज़ जुटाना वस्तुत: असंभव है।
‘वक्फ बाय यूजर’ पर केंद्र से जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूजर’ के सिद्धांत पर भी सवाल उठाया, जिसके तहत किसी संपत्ति को उसके उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि यदि इस सिद्धांत पर बनी संपत्तियों को डिनोटिफाई किया गया, तो यह कई कानूनी और सामाजिक समस्याएं पैदा कर सकता है। साथ ही कोर्ट ने देशभर में वक्फ कानून को लेकर हो रही सामाजिक अशांति और हिंसा पर चिंता जताई।
“वास्तविक वक्फ भी हैं” – सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि भले ही वक्फ एक्ट के दुरुपयोग के उदाहरण सामने आए हों, लेकिन सभी वक्फ संपत्तियां अवैध नहीं मानी जा सकतीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया, “वास्तविक वक्फ भी हैं, जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है।” साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि विधानसभा या कोई भी विधायी संस्था अदालत के फैसलों को निष्प्रभावी घोषित नहीं कर सकती।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि देश में लगभग 8 लाख धार्मिक संपत्तियों में से 4 लाख संपत्तियां ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत आती हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा, “हमें तो यह भी बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट खुद वक्फ भूमि पर बना है।” हालांकि कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि हर ‘वक्फ बाय यूजर’ गलत नहीं माना जा सकता।
कपिल सिब्बल ने हिंदू ट्रस्ट पर उठाया सवाल
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि नए संशोधन के तहत वक्फ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिमों, विशेषकर हिंदुओं को भी शामिल किया जा रहा है, जो कि मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने केंद्र से तीखा सवाल पूछा— “क्या केंद्र सरकार तैयार है कि हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की मुसलमानों को भी अनुमति दी जाए?”
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पीठ ने सभी पक्षों की दलीलों को ध्यान से सुनते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि वह वक्फ रजिस्ट्रेशन, ‘वक्फ बाय यूजर’, और धार्मिक स्वतंत्रता के सवालों पर स्पष्ट जवाब पेश करे। अब इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
यह मामला अब केवल वक्फ संपत्तियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकार, और ऐतिहासिक संपत्तियों की कानूनी पहचान से जुड़ी बड़ी बहस का रूप ले चुका है। अगली सुनवाई में कोर्ट का रुख आने वाले फैसले की दिशा तय कर सकता है।