Homeप्रदेशवक्फ बोर्ड को हाईकोर्ट से झटका: देवास रेलवे स्टेशन के पास जमीन...

वक्फ बोर्ड को हाईकोर्ट से झटका: देवास रेलवे स्टेशन के पास जमीन विवाद में आदेश खारिज

इंदौर: हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड को देवास रेलवे स्टेशन के पास 17,903 वर्गमीटर जमीन के विवाद में बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के आदेश को खारिज करते हुए निर्देश दिया कि लंबित याचिका का निराकरण उचित निरीक्षण और दस्तावेजों की जांच के बाद किया जाए।

क्या है विवाद?

देवास रेलवे स्टेशन के पास खसरा नंबर 83, 84, और 85 की जमीन पर विवाद है।

  • खसरा नंबर 83: ईसाई कब्रिस्तान की भूमि।
  • खसरा नंबर 84: श्मशान भूमि।
  • खसरा नंबर 85: मुस्लिम कब्रिस्तान की भूमि।

इस भूमि को लेकर तहसील कार्यालय में एक अपील लंबित थी। विवाद तब बढ़ा जब श्मशान की ओर जाने वाले रास्ते पर ताले लगा दिए गए, जिससे मुस्लिम और ईसाई कब्रिस्तान तक पहुंच बाधित हो गई।

वक्फ बोर्ड का आदेश

वक्फ बोर्ड ने ताले खोलने और शवों को दफनाने में किसी प्रकार की परेशानी न होने देने का आदेश दिया। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसमें कलेक्टर देवास ने तर्क दिया कि रास्ता खोलने से विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

हाईकोर्ट का निर्णय

जस्टिस गजेंद्र सिंह की कोर्ट ने सुनवाई के बाद वक्फ बोर्ड के आदेश को खारिज कर दिया।

  • कोर्ट का तर्क:
    वक्फ बोर्ड ने पक्षकारों की याचिका और दस्तावेजों का समुचित निरीक्षण किए बिना आदेश जारी किया।
    आदेश कानूनी रूप से गलत था और विवाद को और बढ़ा सकता था।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. खसरा नंबर 84 (श्मशान भूमि) से होकर मुस्लिम कब्रिस्तान (खसरा नंबर 85) तक जाने का रास्ता है।
  2. रास्ता खोलने से श्मशान, ईसाई और मुस्लिम कब्रिस्तान के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है।
  3. कलेक्टर देवास की याचिका में इस विवाद को स्पष्ट करने की मांग की गई थी।

आगे का रास्ता:

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि वक्फ बोर्ड लंबित याचिका का जल्द समाधान करे और सभी पक्षों की सुनवाई के बाद ही कोई निर्णय पारित करे।

यह भी पढ़ें: न्यूजीलैंड बनाम इंग्लैंड: पहले टेस्ट में फैंस ने मैदान पर बिताया लंच ब्रेक, दिल जीतने वाला नजारा

देवास में जमीन विवाद धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से संवेदनशील है। कोर्ट का निर्णय इस बात पर जोर देता है कि ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन और सभी पक्षों की सुनवाई अनिवार्य है। यह आदेश विवाद को सुलझाने और स्थायी समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

RELATED ARTICLES

Most Popular