नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता पर सुनवाई करते हुए इसके कुछ प्रमुख प्रावधानों को लेकर तीन महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इन सवालों पर स्पष्ट जवाब मांगा है, जिसके लिए सरकार ने समय की मांग की। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में, सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार दोपहर दो बजे अगली सुनवाई तय की है।
100 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई
संशोधित अधिनियम के खिलाफ 100 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें कई प्रमुख संगठनों और व्यक्तियों के नाम शामिल हैं, जैसे एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्ला खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, और एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स।
कोर्ट ने उठाए तीन मुख्य सवाल
1. ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान क्यों हटाया गया?
वक्फ कानून में पहले यह प्रावधान था कि कोई भी संपत्ति जो लंबे समय से धार्मिक कार्यों में प्रयुक्त हो रही हो, भले ही दस्तावेज़ न हों, उसे वक्फ संपत्ति माना जा सकता है। अब इस प्रावधान को हटा दिया गया है। इस पर कोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।
2. ऐतिहासिक मस्जिदों के लिए रजिस्टर्ड डीड कहां से लाएं?
पीठ ने सवाल किया कि 14वीं से 16वीं सदी में बनी कई मस्जिदों के पास रजिस्टर्ड दस्तावेज़ नहीं हैं। यदि सरकार उनसे वैध डीड की मांग करती है, तो उनका अस्तित्व ही खतरे में आ सकता है।
3. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति क्यों?
नए संशोधन में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को भी शामिल करने की अनुमति दी गई है। इस पर कोर्ट ने तीखा सवाल किया, “क्या केंद्र सरकार हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों की नियुक्ति की अनुमति देगी?”

सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआत में इन प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने का सुझाव दिया, लेकिन केंद्र सरकार के आग्रह पर इसे अभी ‘होल्ड’ पर रखा गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से आग्रह किया कि सरकार को जवाब तैयार करने का समय दिया जाए।
कोर्ट ने हिंसा पर जताई चिंता
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने देशभर में वक्फ कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों और हिंसा पर चिंता व्यक्त की। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अदालत को यह संदेश नहीं देना चाहिए कि हिंसा से दबाव बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा, “हम इस विषय पर विचार करेंगे।”
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पीठ ने यह भी विचार किया कि क्या इन याचिकाओं को हाईकोर्टों को स्थानांतरित किया जाए, लेकिन फिलहाल सुप्रीम कोर्ट खुद ही सुनवाई कर रहा है।