मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके कुंवर विजय शाह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार कारण है—कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिया गया आपत्तिजनक बयान, जिसके चलते हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। यह पहली बार है जब राज्य के किसी मंत्री पर देश की अखंडता को खतरे में डालने का केस दर्ज किया गया है। हालांकि, यह मंत्री विजय शाह का पहला विवाद नहीं है। वे पहले भी कई बार अपने बयानों से संकट में फंस चुके हैं।
पहला बड़ा विवाद और इस्तीफा
वर्ष 2013 में जब वे जनजातीय कार्य मंत्री थे, तब खंडवा में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह पर विवादास्पद टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। यह उनके राजनीतिक जीवन का पहला बड़ा झटका था, लेकिन इसके बाद भी उनकी बयानबाज़ी का सिलसिला रुका नहीं।
महिलाओं और बच्चों पर भी विवादित बयान
एक अन्य कार्यक्रम में जब वे बालिकाओं को टी-शर्ट बांट रहे थे, तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा, “इनको दो-दो दे दो, मुझे नहीं पता ये नीचे क्या पहनती हैं…” इस बयान पर उन्हें भारी आलोचना झेलनी पड़ी थी। साल 2018 में शिक्षक दिवस समारोह में उन्होंने कहा था, “अगर आज गुरु के सम्मान में ताली नहीं बजाओगे, तो अगले जन्म में घर-घर जाकर ताली बजानी पड़ेगी।” इस टिप्पणी पर किन्नर समुदाय ने कड़ा विरोध जताया था।
विद्या बालन की शूटिंग रोकने का आरोप
साल 2020 में अभिनेत्री विद्या बालन अपनी फिल्म ‘शेरनी’ की शूटिंग के लिए मध्य प्रदेश में थीं। कहा गया कि विजय शाह ने उन्हें डिनर के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उनके मना करने पर अगले ही दिन शूटिंग यूनिट की गाड़ियों को जंगल में प्रवेश से रोक दिया गया। इससे पूरी यूनिट को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था।

सितंबर 2022 में खंडवा की एक सभा में उन्होंने राहुल गांधी की शादी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके अलावा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित क्षेत्र में चिकन पार्टी करने का वीडियो भी वायरल हुआ था। मामले में जांच की बात तो हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
राजनीतिक सफर
कुंवर विजय शाह मकड़ाई के राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता माने जाते हैं। वे वर्ष 1998 से लगातार हरसूद विधानसभा से विधायक चुने जाते रहे हैं और अब तक आठ बार विधायक रह चुके हैं। वे उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं।
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विजय शाह का राजनीतिक सफर जितना लंबा और प्रभावशाली रहा है, उतना ही विवादों से घिरा भी रहा है। उनकी बयानबाज़ी कई बार उनकी कुर्सी के लिए खतरा बनी है, और अब देखना होगा कि हालिया घटनाक्रम उनके राजनीतिक भविष्य पर क्या असर डालता है।