सीधी:- विश्व हिंदू परिषद बजंरग दल प्रखंड मझौली ने हाल ही में एक गंभीर मामले का संज्ञान लिया है, जिसमें मझौली थाना क्षेत्र के पथरौला पुलिस चौकी अंतर्गत एक हाई स्कूल के शिक्षक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब बस्तुआ हाई स्कूल में पदस्थ शिक्षक रामसेवक कोरी ने देवी-देवताओं की तस्वीरें फेंकने का कृत्य किया।
सूत्रों के अनुसार, रामसेवक कोरी, जो हाल ही में इस स्कूल में नियुक्त हुए थे, ने बुधवार को क्लासरूम में सरस्वती जी, लक्ष्मी जी और गणेश जी की तस्वीरें हटवा दीं। उन्होंने बच्चों से कहा, “भगवान वगवान कुछ नहीं होते, जो हैं भी, वो हमारे दिल में हैं। तस्वीरों से क्या होता है?” इसके साथ ही, उन्होंने मिट्टी की मूर्तियों के प्रति अपमानजनक टिप्पणियाँ भी कीं, जिससे बच्चों और स्थानीय समुदाय में रोष उत्पन्न हुआ।
विश्व हिंदू परिषद बजंरग दल
इस घटना के बाद, विश्व हिंदू परिषद बजंरग दल की प्रखंड मझौली टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नजदीकी पुलिस चौकी पथरौला में शिकायत दर्ज करवाई। चौकी प्रभारी, श्रीमती प्रीति वर्मा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आश्वासन दिया है कि उच्च स्तरीय जांच की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “इस तरह के कृत्यों को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह हमारे समाज और संस्कृति के खिलाफ है।”
रामसेवक कोरी पर आरोप है कि उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया है। जानकारी के अनुसार, वह झाड़-फूक के माध्यम से ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले ज्ञान दाश पनिका और मीरा दीक्षित के संपर्क में हैं। आरोप है कि ये लोग स्थानीय लोगों को हिंदू रीति-रिवाजों को छोड़कर ईसाई रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। ऐसे में, रामसेवक कोरी का यह कृत्य धार्मिक सहिष्णुता के लिए एक गंभीर खतरा माना जा रहा है।
इस घटना ने न केवल स्कूल में बल्कि पूरे समुदाय में चिंता पैदा कर दी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि शिक्षकों को बच्चों को सही नैतिक और धार्मिक शिक्षा देने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन ऐसे कृत्य से बच्चों में गलत संदेश जा सकता है। विश्व हिंदू परिषद बजंरग दल ने स्पष्ट किया है कि वे इस तरह के अपमानजनक व्यवहार को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसके खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे।
बच्चों और समुदाय के बीच इस घटना को लेकर विभिन्न चर्चाएँ हो रही हैं। कई अभिभावकों ने चिंता व्यक्त की है कि ऐसे शिक्षक बच्चों को सही तरीके से शिक्षा नहीं दे पाएंगे। समुदाय में यह सवाल उठ रहा है कि क्या धार्मिक पहचान और आस्था का अपमान सहन किया जा सकता है।
अब सभी की नजरें पुलिस की कार्रवाई पर हैं। क्या पुलिस इस मामले में उचित कार्रवाई करेगी या इसे नजरअंदाज किया जाएगा, यह देखने वाली बात होगी। इस मामले ने स्थानीय समुदाय को एकजुट किया है, और वे उम्मीद कर रहे हैं कि उचित कदम उठाए जाएंगे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
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