वीरपुर नगर के प्रमुख रास्तों पर प्रतिदिन रात 7 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक चंबल रेत से भरे 100 से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉली गुजर रहे हैं। यह सिलसिला बिना किसी रोकटोक के जारी है, और हैरान करने वाली बात यह है कि यह अवैध गतिविधि वीरपुर थाना के ठीक सामने से हो रही है। स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं, जो इन गतिविधियों की पुष्टि करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक बड़े पैमाने पर हो रहा अवैध उत्खनन
स्थानीय सूत्रों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, चंबल नदी के घाटों से बड़े पैमाने पर अवैध रेत उत्खनन हो रहा है। रेत को रात के समय ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर नगर के भीतर लाया जाता है और निर्माण कार्यों में खपाया जाता है। यह रेत नगर के बाहर निजी तथा सरकारी निर्माण स्थलों तक भेजी जा रही है। रेत माफिया और पुलिस के बीच मिलीभगत की बात आम हो चुकी है, लेकिन अब यह वीडियो सबूत के साथ सार्वजनिक हो रही है।
थाने के सामने से रफ्तार में दौड़ती ट्रॉलियाँ, खतरे में आमजन की जान
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि रेत से लदी ट्रॉलियाँ न केवल तेज रफ्तार से चलती हैं, बल्कि ये सुबह घूमने वाले लोगों, दूध विक्रेताओं, सब्जी बेचने वालों और स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए जान का खतरा बन चुकी हैं। यह ट्रॉली सुबह के समय इतनी तेजी से गुजरती हैं कि किसी भी समय गंभीर हादसा हो सकता है। इसके बावजूद, जिम्मेदार विभाग और प्रशासन मौन है।
रेत का स्टॉक भी शुरू, बरसात से पहले भंडारण की होड़
वर्तमान में रेत माफिया सिर्फ रेत निकालने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि आने वाले मानसून सीज़न को देखते हुए खेतों और सड़कों के किनारे अवैध रूप से रेत का स्टॉक भी कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी कार्रवाई करने की बजाय मौन समर्थन दे रहा है।
थाना प्रभारी ने दी चौंकाने वाली सफाई
जब इस मामले में वीरपुर थाना प्रभारी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि “थाने के सामने से कोई ट्रैक्टर ट्रॉली नहीं गुजर रही।” वीडियो फुटेज के संदर्भ में उन्होंने कहा,
“वीडियो कैसे बनाया गया, मुझे नहीं पता। मैं गुजरात में हूं, कोई अंतर्यामी नहीं हूं जो सब जान लूं।”
यह बयान उस समय आया जब स्थानीय पत्रकारों ने उन्हें शनिवार सुबह थाने के सामने से ट्रॉली निकलने की बात कही। इस पर थाना प्रभारी ने टालमटोल करते हुए कहा कि “हमारे यहां से कोई रेत नहीं निकल रही है।”

प्रशासनिक चुप्पी से बढ़ रहा जनता का आक्रोश
वीरपुर के जागरूक नागरिकों और जनप्रतिनिधियों में इस मामले को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि जब यह सब थाने के सामने हो रहा है और वीडियो फुटेज सार्वजनिक हो चुके हैं, तब भी जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से बचते नजर आ रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि कहीं यह सारा खेल “मौन समर्थन और हिस्सेदारी” का तो नहीं?
क्या कहता है कानून?
चंबल नदी क्षेत्र को पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील और संरक्षित क्षेत्र माना गया है, जहां रेत उत्खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। फिर भी, वन विभाग और खनिज विभाग की निष्क्रियता और पुलिस की अनदेखी इस अवैध व्यापार को फलने-फूलने दे रही है।
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प्रशासन के पास अब दो ही रास्ते हैं —
- या तो वह रेत माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई कर कानून का सम्मान बहाल करे,
- या फिर सार्वजनिक विश्वास खो दे और कानून व्यवस्था की विफलता का प्रतीक बन जाए।
वीरपुर में हो रही इस अवैध गतिविधि पर शासन की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है, और आने वाले समय में यदि कोई दुर्घटना होती है तो इसकी सीधी जिम्मेदारी प्रशासन पर होगी।