मध्यप्रदेश की जानी-मानी फायरब्रांड भाजपा विधायक उषा ठाकुर एक बार फिर अपने तीखे बयान को लेकर चर्चा में आ गई हैं। हाल ही में महू विधानसभा क्षेत्र के हासलपुर गांव में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने वोट बेचने की प्रवृत्ति पर जमकर हमला बोला। उनका यह बयान अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
सभा के दौरान उषा ठाकुर ने कहा, “जो लोग वोट के बदले पैसे, साड़ियां या शराब लेते हैं, वो पक्के तौर पर अगले जन्म में जानवर बनेंगे।” उन्होंने इसे न सिर्फ नैतिक पतन बताया, बल्कि इसे लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा भी करार दिया।
भगवान से ‘सीधी बातचीत’ का दावा
अपने भाषण में ठाकुर ने एक और बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा, “मेरी भगवान से सीधी बातचीत होती है। जो ये पाप करेगा, वो उसका फल जरूर भोगेगा।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने इसे व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए जोर देकर कहा कि ईमानदारी और नैतिकता ही लोकतंत्र की असली ताकत हैं।
‘वो इंसान कहलाने लायक नहीं’
ठाकुर ने सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब जनता को लाडली बहना योजना, प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला योजना और किसान सम्मान निधि जैसी मदद मिल रही है, तो फिर सिर्फ कुछ पैसों या लालच के कारण वोट बेचना एक शर्मनाक कृत्य है।
उन्होंने कहा, “इतना सब कुछ मिलने के बावजूद अगर कोई 500 या 1000 रुपये लेकर वोट बेच देता है, तो वो इंसान कहलाने लायक नहीं है।” ठाकुर ने यह भी जोड़ा कि उनका यह बयान कड़वा जरूर है, लेकिन सच है।

विधायक ठाकुर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने वोट का प्रयोग सोच-समझकर करें और केवल भाजपा को वोट दें। उन्होंने कहा कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो ‘राष्ट्र धर्म’ की सेवा कर रही है और देश को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा, “जब आप वोट डालने जाते हैं, तो कोई नहीं देखता, आप अकेले होते हैं। लेकिन परमात्मा आपको देख रहा होता है।” उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि अगर किसी ने कुछ लिया भी हो, तो अपने ईमान और संविधान के साथ धोखा न करें।
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उषा ठाकुर के इस बयान पर अब तक विपक्ष की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी माहौल में ऐसे बयानों का असर मतदाताओं की सोच पर पड़ सकता है।
जनसभा में दिए गए उनके बयान से साफ है कि उषा ठाकुर न सिर्फ अपने विचारों को बेबाकी से रखती हैं, बल्कि चुनावों को लेकर मतदाताओं की मानसिकता पर भी खुलकर बात करती हैं।