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शिवसेना ने कलेक्ट्रेट, जंगल विभाग और विद्युत विभाग का घेराव किया: पीड़ित ग्रामीणों की समस्याओं का उठाया मुद्दा

कुसमी (Sidhi News): शिवसेना के नेतृत्व में कुसमी ब्लॉक के विभिन्न गांवों से आए सैकड़ों पीड़ित आदिवासी परिवारों ने अपनी लंबित समस्याओं के समाधान के लिए कलेक्ट्रेट, जंगल विभाग और विद्युत विभाग का घेराव किया। इस दौरान पीड़ितों ने नौ बिंदुओं पर ज्ञापन सौंपते हुए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की। शिवसेना प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक पांडे ने इस घेराव की अगुवाई की और चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो आगामी दिनों में उग्र आंदोलन किया जाएगा।

नौ बिंदुओं पर रखी गईं मांगें

विवेक पांडे ने बताया कि शिवसेना द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में मुख्य रूप से निम्नलिखित नौ बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया गया है:

  1. रूड़ा भदौरा मुख्य मार्ग की स्थिति: इस मार्ग पर पिछले कई सालों से कोई सुधार नहीं हुआ है, जिससे ग्रामीणों को न केवल रोजमर्रा के कामों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पाता। खासकर संजय टाइगर रिजर्व के जंगल विभाग द्वारा इस रास्ते को प्रभावित किया गया है।
  2. विद्युत सेवा का अभाव: इस इलाके के ग्रामीण आज भी बिजली से कोसों दूर हैं। स्वतंत्रता के बाद भी यहां बिजली की व्यवस्था नहीं हो पाई है, जिससे ग्रामीणों का जीवन कठिन बना हुआ है।
  3. पानी की गंभीर समस्या: ग्रामीणों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं है और वे नाले का पानी पीने के लिए मजबूर हैं। इस मामले में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
  4. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित हैं। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में ग्रामीणों को डोले-खटोला का सहारा लेना पड़ता है, जिसके कारण कई बार जानलेवा दुर्घटनाएं घट चुकी हैं।
  5. तेंदूपत्ता का लाभ नहीं मिल रहा: आदिवासी परिवारों द्वारा तेंदूपत्ता तोड़ा जाता है, लेकिन इसका लाभ उन्हें नहीं मिल पाता। शासन-प्रशासन की ओर से इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
  6. पंचायत योजनाओं का लाभ न मिलना: मनरेगा, आवास योजना और अन्य पंचायत योजनाओं का लाभ इन ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इन योजनाओं में गड़बड़ियां हो रही हैं और ग्रामीणों का आरोप है कि इन योजनाओं का पैसा फर्जी तरीके से गबन किया जा रहा है।
  7. बैगा प्रोजेक्ट का लाभ न मिलना: बैगा प्रोजेक्ट के तहत दी जाने वाली योजनाओं का भी इन आदिवासी परिवारों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
  8. स्कूलों की समस्या: पंचायत क्षेत्रों में स्कूलों की स्थिति गंभीर है। शिक्षक ड्यूटी नहीं कर रहे और कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं, जिससे बच्चों को शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा।
  9. रोजगार सहायक की नियुक्ति: पंचायत में रोजगार सहायक की नियुक्ति नहीं की गई है, जो ग्रामीणों के रोजगार से जुड़ी समस्याओं को हल कर सके।

प्रशासन से आश्वासन, लेकिन आंदोलन की चेतावनी

ज्ञापन सौंपने के बाद शिवसेना के प्रतिनिधियों ने कलेक्टर महोदय से दूरभाष पर बात की और इस मामले को संज्ञान में लेने की अपील की। साथ ही, जंगल विभाग के अधिकारियों, विद्युत विभाग के अधिकारियों और अन्य संबंधित विभागों को पत्र सौंपा गया। अधिकारियों ने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया। हालांकि, विवेक पांडे ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि इन मुद्दों पर शीघ्र समाधान नहीं होता, तो आदिवासी परिवारों के साथ एक बड़ा और उग्र आंदोलन किया जाएगा।

शिवसेना का समर्थन और पीड़ितों की उपस्थिति

इस विरोध प्रदर्शन में शिवसेना के कई प्रमुख नेता मौजूद थे, जिनमें शिवसेना संभाग संयोजक संत कुमार केवट, जिला अध्यक्ष बेनाम सिंह उर्फ भोले, जिला मंत्री सुनील रावत, नगर अध्यक्ष जैनेंद्र सिंह चौहान उर्फ मुन्ना गोपाल पानी, और कई अन्य शिव सैनिक शामिल थे। इसके साथ ही, बड़ी संख्या में पीड़ित ग्रामीण भी उपस्थित थे, जिनमें शिवकुमार सिंह, बालेंद्र, धनेश्वर सिंह, राम शिरोमणि साकेत, रामचंद्र सिंह, महाराज सिंह, और अन्य शामिल थे।

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निष्कर्ष

मझौली क्षेत्र के आदिवासी परिवारों की समस्याएं लंबे समय से अनसुलझी हैं, और अब प्रशासन से समाधान की उम्मीदें खत्म हो रही हैं। शिवसेना ने इन समस्याओं को उजागर करते हुए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। यदि प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाए, तो शिवसेना इन मुद्दों के समाधान के लिए बड़े पैमाने पर उग्र आंदोलन की योजना बना सकती है।

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