नई दिल्ली: सोमवार, 7 अप्रैल 2025 की सुबह भारतीय शेयर बाजार के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रही। जैसे ही बाजार खुला, सेंसेक्स और निफ्टी में हजारों अंकों की गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों के चेहरों पर चिंता साफ झलक रही थी। यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के चलते शुरू हुए वैश्विक ट्रेड वॉर का परिणाम मानी जा रही है।
वैश्विक तनाव का असर भारत पर
ट्रंप ने अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे के तहत कई देशों पर भारी आयात शुल्क लगा दिए हैं। जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर कड़े टैरिफ थोप दिए। इस टकराव ने अमेरिका से लेकर एशिया और यूरोप तक के शेयर बाजारों में अफरा-तफरी मचा दी है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली, रुपये पर असर
भारत में विदेशी निवेशकों ने घबराकर भारी बिकवाली शुरू कर दी, जिससे बाजार में तेज गिरावट आई। रुपये की कीमत में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। जापान का निक्केई, हांगकांग का हैंगसेंग और ऑस्ट्रेलियाई बाजारों में भी गिरावट का रुख रहा।


इस संकट के बीच ट्रंप का बयान आया, “मैं नहीं चाहता कि कुछ भी गिरे। लेकिन, कभी-कभी, आपको चीजों को ठीक करने के लिए सख्त कदम उठाने पड़ते हैं।” उनका यह बयान तब आया जब 2 अप्रैल को घोषित टैरिफ्स ने ट्रेड वॉर की आशंका को हकीकत में बदल दिया।
घरेलू कारण भी जिम्मेदार
भारत में गिरावट के पीछे केवल वैश्विक कारण नहीं थे। घरेलू आर्थिक मंदी की आहट, कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन और सरकारी नीतियों की अस्थिरता ने भी बाजार को कमजोर किया। आम निवेशक और कारोबारी अपने नुकसान की भरपाई के उपाय खोज रहे हैं।
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अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह गिरावट रुक पाएगी या फिर यह आर्थिक संकट और गहराएगा? इसका जवाब आने वाले हफ्तों में सामने आएगा।