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श्योपुर में रोजगार सहायकों का फूटा ग़ुस्सा: वेतन कटौती और प्रताड़ना से नाराज़, सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

श्योपुर (मध्यप्रदेश): प्रदेशभर में ग्राम रोजगार सहायकों के बीच असंतोष तेजी से उभर रहा है। हाल ही में श्योपुर जिले में रोजगार सहायकों ने प्रशासनिक उत्पीड़न और वेतन कटौती के विरोध में संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि उन्हें न केवल कार्य से पृथक किया जा रहा है, बल्कि उनका मानदेय रोका जा रहा है और अनुचित वेतन कटौती की जा रही है। यह स्थिति मानसिक और आर्थिक रूप से उन्हें लगातार परेशान कर रही है।

ज्ञापन ग्राम रोजगार सहायक संघ, मनरेगा ग्राम रोजगार सहायक महासंघ तथा पंचायत सहायक सचिव कर्मचारी संघ के संयुक्त संगठन की ओर से सौंपा गया। इसमें प्रदेश सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं और इसे ‘अमानवीय’ और ‘एकतरफा कार्रवाई’ करार दिया गया है।

15 वर्षों की सेवा, अब उपेक्षा का शिकार

ज्ञापन में बताया गया कि ग्राम रोजगार सहायक पिछले 15 वर्षों से गांव-स्तर की योजनाओं को सफलतापूर्वक धरातल पर उतारने का काम कर रहे हैं। उन्होंने मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास, शौचालय निर्माण, जल जीवन मिशन, सड़क निर्माण जैसी अनेकों योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन हाल के महीनों में अधिकारियों द्वारा केवल रोजगार सहायकों को ही टारगेट कर कार्रवाई की जा रही है।

यह भी बताया गया कि योजना संचालन में पंचायत सचिव, तकनीकी अमला और निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी समान रूप से जिम्मेदार होते हैं। बावजूद इसके सिर्फ ग्राम रोजगार सहायकों को ही दोषी ठहराकर निलंबन, वेतन रोक और बर्खास्तगी जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।

रीवा और कटनी में हटाए गए दर्जनों सहायक

ज्ञापन में दो जिलों – कटनी और रीवा – का विशेष रूप से ज़िक्र किया गया है, जहां पर दर्जनों रोजगार सहायकों को पद से हटा दिया गया है। यह कार्रवाई बिना पूरी जांच और उचित प्रक्रिया के की गई, जिससे कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना फैल गई है।

30 से अधिक सहायकों की असमय मृत्यु, सरकार चुप

सबसे चिंताजनक आंकड़ा यह है कि पिछले तीन महीनों में प्रदेशभर में 30 से अधिक ग्राम रोजगार सहायकों की असमय मृत्यु हो चुकी है। ज्ञापन में बताया गया कि इन कर्मचारियों के परिवारों को न तो सरकार की ओर से कोई मृत्यु अनुग्रह राशि मिली और न ही अनुकंपा नियुक्ति दी गई। इससे कर्मचारियों में यह भावना गहराती जा रही है कि सरकार उनकी सेवा और समर्पण को नज़रअंदाज़ कर रही है।

संगठन ने इसे ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन’ बताते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

मांगें और चेतावनी

ज्ञापन में प्रमुख रूप से निम्नलिखित मांगें रखी गईं हैं:

  • ग्राम रोजगार सहायकों पर हो रही सभी कार्रवाईयों पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  • कार्य से पृथक किए गए सहायकों को पुनः बहाल किया जाए।
  • मृतक सहायकों के परिजनों को अनुग्रह राशि और अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
  • भविष्य में कार्रवाई से पहले उचित जांच और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जाए।

संगठन ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इन मांगों पर जल्द संज्ञान नहीं लिया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस आंदोलन में धरना-प्रदर्शन से लेकर कार्यबहिष्कार तक के कदम शामिल हो सकते हैं।

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श्योपुर से उठी यह आवाज़ अब पूरे प्रदेश में गूंज रही है। यह मामला न केवल रोजगार सहायकों की पीड़ा का प्रतीक है, बल्कि यह प्रशासन और शासन के उस रवैये पर सवाल भी उठाता है जो基层 (ग्रासरूट) स्तर पर काम करने वाले कर्मियों की अनदेखी करता है। यदि सरकार ने शीघ्र कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो यह असंतोष बड़े विरोध में तब्दील हो सकता है।

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