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संजय गांधी कॉलेज में छात्रों की समस्याओं को लेकर NSUI का जोरदार प्रदर्शन, पुलिस ने कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार

सीधी
शहर में सोमवार का दिन छात्रों के गुस्से और पुलिसिया दमन का गवाह बना। कॉलेजों की बदहाल व्यवस्था, शिक्षकों की अनुपस्थिति, परीक्षाओं की अव्यवस्था और छात्रावासों की नारकीय स्थिति से परेशान छात्र आखिरकार सड़कों पर उतर आए। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के जिला अध्यक्ष सौरभ सिंह चौहान के नेतृत्व में हज़ारों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने कलेक्ट्रेट तक कूच किया।

सुबह से गूंजे नारे, उबल पड़ा गुस्सा

सुबह से ही कॉलेज परिसरों में हलचल थी। छात्रों ने हाथों में तख्तियां और झंडे लेकर जोरदार नारेबाज़ी की –
शिक्षा हमारी है, अधिकार हमारा है”,
छात्रों की आवाज़ दबेगी नहीं”,
तानाशाही नहीं चलेगी।”

छात्रों का कहना था कि वे कई बार अपनी समस्याएँ उठा चुके हैं, लेकिन हर बार प्रशासन ने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया।

शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल

प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि कॉलेजों में कक्षाएँ नियमित रूप से नहीं चल रही हैं।

  • कई शिक्षक महीनों से अनुपस्थित हैं।
  • विज्ञान प्रयोगशालाएँ बंद पड़ी हैं।
  • लाइब्रेरी छात्रों के लिए बेकार हो चुकी है।
  • छात्रावासों में गंदगी और बदइंतज़ामी हद पार कर चुकी है।
  • परीक्षाओं की अव्यवस्था से छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।

छात्रों ने सवाल उठाया – “क्या यही है मध्यप्रदेश में पढ़ाई की हालत? लाखों का बजट कहाँ जा रहा है?”

पुलिस ने रोका रास्ता, भड़की झड़प

जुलूस जैसे ही GDC कॉलेज के पास पहुँचा, पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर छात्रों को रोक दिया। शांतिपूर्ण ढंग से बैठे छात्रों को जबरन घसीट-घसीटकर पुलिस वाहनों में डाला गया। कई छात्राओं को भी जीप में ठूँस दिया गया।

आम लोग इस बर्बरता को देखकर दंग रह गए। सवाल उठता है –
👉 क्या छात्रों की आवाज़ इतनी ख़तरनाक है कि उनसे निपटने के लिए पुलिस लाठियों और गिरफ्तारियों का सहारा ले?

“यह लोकतंत्र पर हमला है” – सौरभ सिंह चौहान

गिरफ्तारी से पहले NSUI जिलाध्यक्ष सौरभ सिंह चौहान ने कहा –
“यह लड़ाई अब रुकने वाली नहीं है। प्रशासन बहरे कान बन चुका है। कॉलेजों में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त है, और छात्र विवश होकर सड़क पर उतरे हैं। हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने तानाशाही दिखाकर हमें गिरफ्तार कर लिया। यह केवल छात्रों पर हमला नहीं बल्कि लोकतंत्र पर हमला है। अगर माँगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम गाँव-गाँव और गली-गली जाकर आंदोलन तेज़ करेंगे।”

बड़े पैमाने पर हुई गिरफ्तारी

गिरफ्तारी देने वालों में प्रमुख नाम शामिल हैं – कमलेन्द्र सिंह (डब्बू), विजय सिंह बघेल, जीत सिंह चौहान, जय प्रकाश तिवारी (जे.पी.), अमित सिंह सेंगर, लकी त्रिपाठी, अभिषेक बघेल, आज़ाद सिंह, अंकित सोमवंशी, जय पटेल, हरिओम पाण्डेय, अंकुर द्विवेदी, अमन पटेल, आकाश पटेल, खालिद खान, शाहिद मोहम्मद, आयुष बघेल, विनय बघेल, राम प्रसाद साकेत, अभिमन्यु साकेत, सुदर्शन साकेत, प्रभात मौर्य, गौरव सिंह, निहाल बघेल, नितिन चंदेल, आशुतोष चौहान, मयंक तिवारी, अभय त्रिपाठी, हर्षित सिंह, विक्रम साकेत, सरदार बंसल, प्रशांत पाण्डेय, ओम बघेल, अतुल तिवारी आदि।

छात्राओं में मुस्कान सिंह चौहान, गुनगुन सिंह, आयुषी चतुर्वेदी, श्रद्धा तिवारी, अंजलि सिंह, सुनीता मौर्या, प्रीती सिंह समेत कई युवतियाँ शामिल रहीं।

आंदोलन और तेज़ करने की चेतावनी

NSUI ने स्पष्ट कहा है कि यदि उनकी माँगों पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो यह विरोध और उग्र होगा। छात्र संगठन अब गाँव-गाँव जाकर लोगों को जोड़कर इस संघर्ष को जनांदोलन का रूप देगा।

सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं –

  • क्या छात्रों की जायज़ माँगें सुनना प्रशासन की ज़िम्मेदारी नहीं?
  • शिक्षा का बजट कहाँ जा रहा है, जबकि कॉलेजों में शिक्षक और सुविधाएँ नदारद हैं?
  • शांतिपूर्ण आंदोलन का जवाब गिरफ्तारियों और पुलिसिया दमन से क्यों दिया जा रहा है?

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फिलहाल प्रशासन की चुप्पी और पुलिस की कार्रवाई से छात्रों का आक्रोश और बढ़ गया है। जानकारों का मानना है कि अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है और प्रदेशभर में शिक्षा व्यवस्था पर सवालों की आँधी उठा सकता है।

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