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संसद का मानसून सत्र हंगामेदार शुरूआत के साथ शुरू, विपक्ष ने सरकार को घेरा

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो गया है, लेकिन पहले ही दिन की कार्यवाही विपक्षी दलों के भारी विरोध और हंगामे के चलते बाधित रही। विपक्षी सांसदों ने विभिन्न ज्वलंत मुद्दों को लेकर सरकार से जवाब मांगते हुए सदन में नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया। इसके चलते लोकसभा की कार्यवाही को पहले दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा, और बाद में कार्यवाही पुनः शुरू की गई।

विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनहित के अहम मुद्दों से भाग रही है और जवाब देने से बच रही है। इन मुद्दों में ऑपरेशन सिंदूर, बिहार में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी, पहलगाम आतंकी हमला, और भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर हालिया घटनाएं शामिल हैं।

क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ हाल ही में चर्चा में आया एक सुरक्षा अभियान है, जिसमें भारत की एजेंसियों ने आतंकी नेटवर्क्स के खिलाफ कार्रवाई की है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस ऑपरेशन की पारदर्शिता और इसके नतीजों को लेकर स्पष्ट नहीं है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है और सदन में चर्चा नियमों के तहत होगी।

पहलगाम हमला और पाकिस्तान के साथ सीजफायर

विपक्ष ने केंद्र सरकार से पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया मांगी है। साथ ही, पाकिस्तान के साथ चल रहे सीजफायर को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि एक ओर पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है, दूसरी ओर भारत उसके साथ शांति बनाए रखने का दावा कर रहा है।

बिहार वोटर लिस्ट में गड़बड़ी

एक अन्य मुद्दा जिसने सदन में हलचल मचाई, वह था बिहार में मतदाता सूची संशोधन में कथित अनियमितता। विपक्ष का कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है और इसकी गहन जांच होनी चाहिए।

कांग्रेस ने दिया स्थगन प्रस्ताव

कांग्रेस पार्टी की ओर से चीफ व्हिप माणिकम टैगोर ने इन सभी मुद्दों को लेकर स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया। उनका कहना था कि इन मुद्दों पर तत्काल चर्चा होनी चाहिए। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में शांति बनाए रखने और नियमों के तहत कार्यवाही चलाने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने दिया सकारात्मक संदेश

सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि “मानसून सत्र नवाचार और नव निर्माण का प्रतीक है।” उन्होंने देश में अच्छी बारिश और अनुकूल मौसम की बात करते हुए कहा कि यह किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। साथ ही उन्होंने विपक्ष से सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाने की अपील की।

क्या कहते हैं जानकार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी महीनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में मानसून सत्र सरकार और विपक्ष दोनों के लिए अपनी नीतियों और रुख को जनता के सामने रखने का अवसर है। लेकिन अगर पूरा सत्र केवल हंगामे की भेंट चढ़ गया, तो इससे संसदीय कार्य संस्कृति और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचेगा।

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संसद का मानसून सत्र अभी शुरू ही हुआ है, लेकिन पहले दिन का नज़ारा साफ संकेत दे रहा है कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और तीखा हो सकता है। जनता को उम्मीद है कि सत्र में देशहित के मुद्दों पर ठोस चर्चा हो और सरकार सभी ज्वलंत सवालों का जवाब दे।

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