मध्यप्रदेश के सतना जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जो राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत को उजागर करता है। रविवार को जिला अस्पताल में बिजली गुल होने के कारण एक गर्भवती महिला की डिलीवरी मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में करनी पड़ी। यह घटना न सिर्फ चिकित्सा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत की ओर भी इशारा करती है।
पूरा मामला सतना जिले के रामस्थान-भठिया क्षेत्र का है। यहां रहने वाली गर्भवती महिला सोनम कोल को जननी एक्सप्रेस से जिला अस्पताल लाया जा रहा था। उसी दौरान मौसम बिगड़ गया और तेज आंधी-पानी के चलते अस्पताल की बिजली चली गई। जब सोनम को अस्पताल लाया जा रहा था, तभी उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और उसने एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दे दिया।
बच्चे के जन्म के बाद परिजन महिला को अस्पताल के लेबर रूम में ले गए और वहां स्टाफ को सूचना दी, लेकिन बिजली की आपूर्ति ठप थी। हैरानी की बात यह रही कि अस्पताल में मौजूद जनरेटर और सोलर पैनल जैसी वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी उस वक्त काम नहीं कर रही थीं। अंततः डॉक्टरों और स्टाफ को टॉर्च की रोशनी में प्रसव कराना पड़ा।

घटना के बाद अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि आपातकालीन स्थितियों के लिए जनरेटर और सोलर पैनल लगाए गए हैं, लेकिन उस वक्त तकनीकी कारणों से ये चालू नहीं हो सके। इस मामले पर सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला ने कहा, “जनरेटर के संचालन को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। इस मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी जिम्मेदार होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।”
परिजनों के अनुसार, सोनम कोल की यह चौथी डिलीवरी थी और उन्हें उम्मीद थी कि इस बार अस्पताल में सुरक्षित प्रसव होगा। लेकिन जिस तरह से टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन करना पड़ा, उससे उनकी चिंता और नाराज़गी बढ़ गई है।
इस घटना के सामने आने के बाद एक बार फिर राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने भी इसे लेकर सरकार को घेरा है और स्वास्थ्य मंत्री से जवाब मांगा है।
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स्थानीय लोगों और परिजनों की मांग है कि ऐसे मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और अस्पतालों की आधारभूत सुविधाओं की नियमित जांच की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।