सतना
देशभर में 15 अगस्त का दिन आज़ादी और स्वतंत्रता का पर्व बनकर मनाया गया। इस मौके पर मध्यप्रदेश की सभी जेलों में भी स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया। इसी दौरान राज्य सरकार की विशेष नीति के तहत कुल 156 कैदियों को रिहाई मिली। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में सतना केंद्रीय जेल से रिहा हुए चार सगे भाई रहे। खास बात यह रही कि ये भाई सिर्फ़ आज़ादी की सौगात लेकर नहीं लौटे, बल्कि मेहनत की कमाई के लाखों रुपये साथ लेकर अपने घर पहुँचे।
13 साल से जेल में काट रहे थे सजा
जानकारी के मुताबिक़ छतरपुर जिले के छुलहा गांव निवासी कृपाल यादव, भागवत यादव, गोपाल यादव और राजू यादव वर्ष 2010 से ही जेल की सलाखों के पीछे थे। उन पर हत्या का गंभीर आरोप था। बताया जाता है कि 2010 में जमीन विवाद को लेकर उनके पड़ोसी टिकरी गांव के लोधी परिवार से झगड़ा हुआ। यह विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों में लाठी-डंडे और हथियार चल गए। इस झगड़े में लोधी परिवार के तीन सदस्य – दादू लोधी, राजाराम लोधी और राम लोधी की मौत हो गई। मामला अदालत पहुँचा और 8 अगस्त 2012 को कोर्ट ने चारों भाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
जेल में श्रम से कमाई, रिहाई पर बने लखपति
जेल प्रशासन की नीति के तहत कैदियों को जेल में काम दिया जाता है। उनके श्रम के बदले पारिश्रमिक भी तय किया गया है। चारों भाइयों ने जेल में 13 वर्षों तक काम किया। उन्होंने खेती, हस्तकला और अन्य कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी मेहनत की कमाई को बचाया।

रिहाई के दिन जेल प्रशासन ने उन्हें करीब 3 लाख रुपये का पारिश्रमिक सौंपा। इस प्रकार वे महज कैदी बनकर बाहर नहीं आए, बल्कि “लखपति” बनकर अपने गांव लौटे।
प्रदेशभर से 156 कैदियों की रिहाई
स्वतंत्रता दिवस पर राज्य सरकार की ओर से पूरे प्रदेश में कैदियों को रिहाई दी गई। कुल 156 कैदी रिहा हुए। इनमें—
- भोपाल से 25,
- रीवा से 19,
- सतना से 17,
- ग्वालियर से 16,
- जबलपुर और उज्जैन से 14-14,
- सागर से 14,
- नर्मदापुरम से 11,
- इंदौर से 10,
- नरसिंहपुर से 06,
- बड़वानी से 03,
- टीकमगढ़ से 02,
- इंदौर जिला जेल से 02,
- देवास, पवई और बंडा से 1-1 कैदी शामिल रहे।
गांव में खुशी का माहौल
चारों यादव भाइयों की रिहाई की खबर मिलते ही उनके गांव में जश्न का माहौल है। परिवारजन 13 साल बाद अपनों को पाकर भावुक हो उठे। गांव वालों का कहना है कि जेल में बिताया समय चारों भाइयों के लिए बड़ी सीख है। अब वे मेहनत और ईमानदारी से नया जीवन शुरू करेंगे।
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रिहा हुए भाइयों ने भी जेल प्रशासन को धन्यवाद दिया और कहा कि जेल में काम करके जो रकम मिली, उससे वे परिवार के लिए नए सिरे से जीवन की शुरुआत करेंगे। उनका कहना है कि स्वतंत्रता दिवस उनके लिए सच में “नई आज़ादी” लेकर आया है।