सतना (मध्यप्रदेश) — मध्यप्रदेश के सतना जिले में सरकारी संपत्ति की खुली लूट का मामला सामने आया है। यहां ढाई एकड़ के एक सरकारी तालाब को राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर निजी संपत्ति के रूप में दिखाया गया और उसे बेच भी दिया गया। मामला सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है और तहसील स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है।
यह पूरा मामला सतना के रघुराजनगर तहसील अंतर्गत बगहा पटवारी हल्का क्षेत्र के गढ़िया टोला गांव से जुड़ा है। यहां करीब ढाई एकड़ में फैले एक सरकारी तालाब को कथित रूप से राजस्व दस्तावेजों में निजी संपत्ति की तरह दर्ज किया गया और फिर उसे बेच दिया गया। इसकी भनक तब लगी जब तालाब की कथित खरीदारों ने तालाब की खुदाई शुरू कर दी।
पार्षद ने रोका काम, की शिकायत
वार्ड क्रमांक 3 के पार्षद अभिषेक तिवारी को जब इस मामले की जानकारी मिली, तो वे स्थानीय नागरिकों के साथ मौके पर पहुंचे और तालाब की खुदाई का कार्य रुकवाया। पार्षद तिवारी ने रघुराजनगर के तहसीलदार को पूरे मामले की शिकायत की, जिसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित पटवारी से रिपोर्ट तलब की है।
पार्षद तिवारी का कहना है कि “यह सिर्फ एक तालाब का मामला नहीं है, बल्कि एक बड़े रैकेट की ओर इशारा करता है जिसमें राजस्व विभाग के कुछ लोग भी शामिल हो सकते हैं। यह जनता की संपत्ति है, जिसे किसी भी हालत में बेचने नहीं दिया जाएगा।”

पहले से घोषित हैं सरकारी तालाब
स्थानीय प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बगहा और गढ़िया टोला क्षेत्र में कुल 11 तालाब मौजूद हैं, जो लगभग 120 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए हैं। इनमें से चार तालाबों को पूर्व कलेक्टर अजय कटेसरिया ने पहले ही सरकारी संपत्ति के रूप में अधिसूचित कर दिया था।
बचे हुए तालाबों पर अब भू-माफियाओं की नजरें लगी हुई हैं। ऐसा संदेह है कि राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से इन तालाबों को भी निजी संपत्ति में तब्दील कर बेचा जा रहा है। प्रशासन ने कहा है कि वह शिकायत के आधार पर गहन जांच कर रहा है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन सख्त, कार्रवाई के संकेत
रघुराजनगर तहसीलदार का कहना है कि “हमें शिकायत मिली है, जिस पर तत्काल प्रभाव से जांच शुरू की गई है। पटवारी को निर्देश दिया गया है कि वह पूरे रिकॉर्ड की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करें। अगर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
जनता में नाराज़गी
इस मामले के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में भारी नाराज़गी है। ग्रामीणों का कहना है कि पानी और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज़ से तालाब जैसे जलस्रोत बेहद ज़रूरी हैं। ऐसे में अगर इन्हें ही मिटा दिया गया तो आने वाली पीढ़ियों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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यह मामला सिर्फ सतना जिले की प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सरकारी जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त का एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है। देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी गंभीरता से जांच करता है और दोषियों के खिलाफ क्या ठोस कदम उठाता है। फिलहाल तहसील प्रशासन की जांच जारी है और रिपोर्ट आने के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी।