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सतना में शिक्षिका से रेप, ब्लैकमेल और तस्वीरें वायरल करने की धमकी – स्कूल प्रिंसिपल गिरफ्तार

सतना (मध्यप्रदेश)।
मध्यप्रदेश के सतना जिले से एक शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक स्कूल प्रिंसिपल ने अपनी ही महिला सहकर्मी के साथ न केवल दुष्कर्म किया, बल्कि शादी के बाद उसे लगातार ब्लैकमेल करता रहा। पीड़िता की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है।

पूरा मामला सतना के उचेहरा थाना क्षेत्र के मतरी पतौरा गांव का है। आरोपी प्रिंसिपल धीर सिंह, जो एक प्राइवेट स्कूल में पदस्थ था, ने जनवरी 2024 में अपने ही स्कूल की एक लेडी टीचर को लिफ्ट देने के बहाने कार में बैठाया और उसे सुनसान जगह डालीबाबा बगिया की ओर ले जाकर कार में ही दुष्कर्म किया। यही नहीं, आरोपी ने रेप के दौरान महिला की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो भी बना लिए।

धमकी देकर चुप कराया, फिर शादी के बाद भी ब्लैकमेल करता रहा

घटना के समय पीड़िता ने डर के मारे किसी को कुछ नहीं बताया। आरोपी ने उसे धमकी दी थी कि यदि किसी को कुछ बताया तो वीडियो वायरल कर देगा और जान से मार देगा। कुछ समय बाद पीड़िता की शादी हो गई, लेकिन आरोपी का मानसिक शोषण यहीं नहीं रुका। शादी के बाद भी आरोपी धीर सिंह उसे लगातार मिलने के लिए ब्लैकमेल करता रहा।

जब महिला ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया, तो आरोपी ने एक और घिनौनी हरकत करते हुए उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें उसके पति और ननदोई को भेज दीं। इससे महिला पूरी तरह टूट गई और उसने अपने पति को सारी सच्चाई बताई। इसके बाद वह थाने पहुंची और आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया।

गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया आरोपी

पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी प्रिंसिपल धीर सिंह को उसके डालीबाबा पंजाबी कॉलोनी स्थित निवास से गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। आरोपी मूल रूप से उचेहरा के मतरी पतौरा का रहने वाला है।

पत्रकारीय दृष्टिकोण: शिक्षा का मंदिर या शोषण की जगह?

जिस स्थान को ‘ज्ञान का मंदिर’ कहा जाता है, वहां एक प्रिंसिपल द्वारा ऐसी घिनौनी हरकत पूरे समाज को शर्मसार कर देती है। यह सिर्फ एक शिक्षक का अपराध नहीं, बल्कि उस विश्वास और सामाजिक मर्यादा का भी उल्लंघन है, जिसे शिक्षा के पेशे से जोड़ा जाता है।

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महिला ने साहस दिखाकर न सिर्फ अपना दर्द साझा किया, बल्कि एक अपराधी को कानून के शिकंजे में लाने में अहम भूमिका निभाई। ऐसे मामलों में पुलिस की तत्परता सराहनीय है, लेकिन जरूरत इस बात की है कि स्कूल जैसे संस्थानों में कार्यरत लोगों की पृष्ठभूमि और चरित्र की नियमित जांच हो, ताकि ऐसे दरिंदों से समय रहते समाज को सुरक्षित रखा जा सके।

अब बारी है न्याय की

इस घटना ने एक बार फिर ये स्पष्ट कर दिया कि महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता। ऐसे मामलों में त्वरित न्याय और कठोर सजा ही समाज में सकारात्मक संदेश दे सकती है। पीड़िता के साहस और पुलिस की कार्रवाई से एक बड़ा अपराध उजागर हुआ, लेकिन क्या अब अदालत इस अपराधी को ऐसी सजा देगी, जिससे भविष्य में कोई और ‘शिक्षक’ इस पवित्र पेशे को शर्मिंदा न कर सके? समाज यही उम्मीद कर रहा है।

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