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सपा विधायक इंद्रजीत सरोज के विवादित बयान से मचा बवाल, मंदिरों की ताकत पर उठाए सवाल, तुलसीदास पर भी की टिप्पणी

उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर बयानबाज़ी के कारण गरमा गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज के एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। अंबेडकर जयंती के मौके पर उन्होंने मंदिरों की “ताकत” पर सवाल उठाते हुए इतिहास के लुटेरों—मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गोरी—का उदाहरण दिया, और कहा कि “अगर मंदिरों में ताकत होती, तो ये लुटेरे भारत में नहीं आते।”

इंद्रजीत सरोज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर कहीं ताकत है तो वह सत्ता के मंदिर में है। बाबा (योगी) खुद अपना मंदिर छोड़कर सत्ता के मंदिर में विराजमान हैं और हेलिकॉप्टर से चलते हैं।”

रामचरितमानस और तुलसीदास को लेकर भी विवादास्पद टिप्पणी

इंद्रजीत सरोज ने रामचरितमानस और उसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने अपने ग्रंथ में नीच जातियों को लेकर अपमानजनक बातें लिखीं। “अगर कोई नीच जाति का व्यक्ति पढ़-लिख जाए तो तुलसीदास ने उसकी तुलना दूध पीने वाले सांप से की।” सरोज ने यह भी आरोप लगाया कि तुलसीदास ने अपने समय में मुसलमानों के खिलाफ कुछ नहीं लिखा क्योंकि वे अकबर के डर से चुप रहे।

उनकी इस टिप्पणी को कई संगठनों और भाजपा नेताओं ने हिंदू आस्थाओं और महापुरुषों का अपमान बताया है। सोशल मीडिया पर भी उनके बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

‘राम नहीं, जय भीम का नारा लगाओ’

अपने भाषण में सरोज ने कहा कि “राम का नारा लगाने से कुछ नहीं होगा, जय भीम का नारा लगाइए तो आप आगे बढ़ेंगे।” उन्होंने खुद को डॉ. भीमराव अंबेडकर का सच्चा अनुयायी बताते हुए कहा कि “जय भीम के नारे की वजह से ही मैं पांच बार विधायक और एक बार मंत्री बन सका हूं।”

मायावती और योगी सरकार पर भी तीखा हमला

बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधते हुए सरोज ने कहा कि “करछना में एक दलित युवक को ज़िंदा जला दिया गया, लेकिन मायावती वहां नहीं पहुंचीं। उन्होंने समाज को बर्बाद कर दिया है।” वहीं योगी सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि “करणी सेना को समाजवादी नेताओं को गालियां देने की खुली छूट है, लेकिन उन पर कोई मुकदमा नहीं होता।”

सपा नेताओं के बयानों से बढ़ रही पार्टी की मुश्किलें?

यह पहली बार नहीं है जब समाजवादी पार्टी के किसी नेता का बयान विवादों में आया हो। इससे पहले सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहा था, जिस पर भी काफी विवाद हुआ था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिए थे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे बयान पार्टी को एक खास वर्ग में लोकप्रिय तो बना सकते हैं, लेकिन व्यापक जनसमर्थन पर इसका विपरीत असर भी हो सकता है।

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इंद्रजीत सरोज का यह बयान सियासी गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे चुका है। जबकि समर्थक इसे ‘सच्चाई की आवाज़’ बता रहे हैं, वहीं विपक्ष और धार्मिक संगठनों ने इसे हिंदू आस्थाओं का अपमान करार दिया है। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने की संभावना है।

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