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सरई थाना प्रभारी को हटाने की मांग, हत्या की पीड़िता ने डीजीपी से लगाई गुहार

सिंगरौली, मध्यप्रदेश।
जिले के सरई थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला ने न केवल अपनी मां की हत्या का आरोप अपने ही परिजनों पर लगाया है, बल्कि स्थानीय पुलिस पर भी गंभीर लापरवाही और पक्षपात का आरोप लगाया है। पीड़िता दुर्गावती जायसवाल ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अब प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) से गुहार लगाई है कि सरई थाना प्रभारी और अन्य जिम्मेदार अफसरों को तत्काल हटाया जाए।

क्या है मामला?

पीड़िता दुर्गावती जायसवाल ग्राम भरसेड़ा, तहसील सरई की निवासी हैं। उनका आरोप है कि 20 मई 2025 को दोपहर करीब 12:30 बजे उनकी मां सुशीला देवी जायसवाल की हत्या उनके ही परिजनों — कमलभान जायसवाल, चन्द्रमालाल जायसवाल, धर्मेन्द्र उर्फ जुगनू और नोहरलाल जायसवाल — ने कर दी। महिला के अनुसार, घटना के तुरंत बाद इसकी सूचना सरई थाना को दी गई, लेकिन थाना प्रभारी ने कोई कार्रवाई नहीं की

FIR से पहले अंतिम संस्कार?

दुर्गावती ने बताया कि उनकी मां का शव 21 मई को दोपहर 12 बजे पोस्टमार्टम के बाद सौंप दिया गया। लेकिन, जब उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी और FIR की मांग की, तो थाना प्रभारी ने कहा कि पहले अंतिम संस्कार कर लो, FIR बाद में करेंगे।
पीड़िता का यह भी आरोप है कि राजनीतिक दबाव में थाना प्रभारी आरोपियों को संरक्षण दे रहे हैं, जो कथित तौर पर गांजे के अवैध कारोबार से जुड़े हैं। हैरानी की बात यह रही कि इतने गंभीर मामले में पुलिस ने मर्ग कायम करने के अलावा अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है।

महिला थाने से भी निराशा

दुर्गावती की शिकायत सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रही। जब उन्होंने महिला थाना प्रभारी से न्याय की गुहार लगाई, तो उन्हें डांटकर थाने से भगा दिया गया।
मैं अपनी मां की इकलौती संतान हूं, लेकिन आरोपियों की लगातार धमकियों की वजह से आज तक मैं उनकी तेरहवीं भी नहीं कर पाई,” दुर्गावती ने रोते हुए कहा।

भोपाल पहुंची पीड़िता, DGP को दिया आवेदन

स्थानीय पुलिस से हताश होकर महिला ने अब भोपाल स्थित DGP कार्यालय तक पहुंच कर एक लिखित आवेदन सौंपा है। इसमें उसने सरई थाना प्रभारी के साथ-साथ सब इंस्पेक्टर सूरज सिंह को भी तत्काल हटाने की मांग की है। पीड़िता का कहना है कि जब तक ये अधिकारी पद पर रहेंगे, तब तक निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद नहीं है।

प्रशासन की सफाई

इस पूरे मामले पर एसडीओपी सरई, राहुल सैयामा ने सफाई देते हुए कहा,
“मर्ग कायम किया गया है। मेडिकल रिपोर्ट में महिला की मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया है। संबंधित लोगों से पूछताछ और बयान दर्ज किए जा चुके हैं। फरियादी को बयान देने के लिए कई बार बुलाया गया, लेकिन वह नहीं आई।”

सवालों में थाना व्यवस्था

पीड़िता के आरोप और प्रशासन की जवाबदेही अब सवालों के घेरे में है। जब हत्या जैसे गंभीर मामले में पीड़ित पक्ष खुलेआम पुलिस पर पक्षपात और लापरवाही का आरोप लगा रहा हो, तो फिर आमजन का पुलिस पर भरोसा कैसे कायम रह सकता है?

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क्या यह मामला एक और प्रशासनिक “कवच” में लिपटी संवेदनहीनता का उदाहरण है, या फिर पुलिस की जांच अपने दायरे में वाकई निष्पक्ष हो रही है — यह तो आने वाला वक्त और अदालत तय करेंगे।

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