सागर
मध्यप्रदेश के सागर जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां बंडा न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए एक दोषी युवक कोर्ट से फरार हो गया। युवक पर छेड़छाड़, मारपीट और पॉक्सो एक्ट के तहत गंभीर आरोप थे। कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद ही उसने कोर्ट मुंशी को धक्का दिया, कटघरे से बाहर निकल भागा और परिसर से फरार हो गया। यह पूरी घटना न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर रही है।
कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी
घटना के समय कोर्ट परिसर में मौजूद स्टाफ और वकीलों ने दोषी युवक जितेंद्र यादव को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह सभी को चकमा देकर भागने में सफल रहा। देखते ही देखते कोर्ट रूम में अफरा-तफरी मच गई और पूरी अदालत व्यवस्था सकते में आ गई।
जितेंद्र सागर जिले के सेमरा रामचंद गांव का रहने वाला है। उसे न्यायालय ने धारा 354 (छेड़छाड़), 452 (घर में घुसकर मारपीट) और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिया था। पर जैसे ही जज ने सजा का ऐलान किया, जितेंद्र ने मौके का फायदा उठाते हुए फरार होने की पूरी योजना को अंजाम दे दिया।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना ने बंडा न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कोर्ट जैसी संवेदनशील जगह से एक सजायाफ्ता अपराधी का भाग जाना, यह दर्शाता है कि न तो पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात था और न ही किसी आपात स्थिति से निपटने की तैयारी।
स्थानीय वकीलों और कर्मचारियों ने इस घटना को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि अदालत परिसर में एक दोषी का इस तरह भाग जाना न सिर्फ कानून व्यवस्था की विफलता है, बल्कि यह सभी न्यायाधीशों, वकीलों और आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।
पुलिस ने शुरू की जांच, जल्द गिरफ्तारी का दावा
घटना के बाद बंडा न्यायालय के रीडर ने स्थानीय थाने में जितेंद्र यादव के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार लोगों की तलाश शुरू कर दी है। साथ ही, दोषी को पकड़ने के लिए आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जितेंद्र के भागने के पीछे कोई पूर्व नियोजित योजना हो सकती है। संभावना है कि उसने पहले से ही कोर्ट परिसर से भागने का रूट देखा हो और सुरक्षा खामियों का आकलन कर लिया हो।
वकीलों और नागरिकों में रोष
कोर्ट परिसर में इस घटना के बाद न्यायिक समुदाय में गहरी नाराजगी है। अधिवक्ताओं ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक अपराधी का भाग जाना नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था पर हमला है।
कुछ वकीलों ने मांग की है कि भविष्य में सजायाफ्ता अपराधियों को कोर्ट में लाने से पहले विशेष बंदोबस्त किए जाएं, जिसमें हथकड़ी, अतिरिक्त पुलिस बल और सीमित आवाजाही के नियम लागू हों।
क्या कहती है प्रशासनिक व्यवस्था?
इस मामले को लेकर जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की गई है, लेकिन पुलिस सूत्रों का दावा है कि जल्द ही जितेंद्र को पकड़ लिया जाएगा। साथ ही, कोर्ट सुरक्षा में लगे अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है और प्रथम दृष्टया लापरवाही पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।
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बंडा न्यायालय की यह घटना यह साफ दिखाती है कि अदालती सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अब गंभीर पुनर्विचार की जरूरत है। अगर एक सजायाफ्ता आरोपी कोर्ट के बीचोंबीच से फरार हो सकता है, तो यह व्यवस्था आम जनता का विश्वास कैसे कायम रख पाएगी? उम्मीद है कि पुलिस जल्द से जल्द आरोपी को गिरफ्तार कर मामले को अंजाम तक पहुंचाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।