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सागर:-स्कूल की आड़ में चल रहा था मदरसा, बाल संरक्षण आयोग की जांच में हुए बड़े खुलासे

सागर:-मध्य प्रदेश के सागर जिले की परसोरिया में स्थित मौलाना आजाद मिडिल स्कूल के खिलाफ एक गंभीर मामला सामने आया है। इस स्कूल को केवल स्कूल चलाने की अनुमति थी, लेकिन जांच में यह खुलासा हुआ कि यहाँ मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा अवैध मदरसा संचालित हो रहा था। बाल संरक्षण आयोग की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण में इस अवैध गतिविधि का खुलासा हुआ है, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया है।

सागर : स्कूल की आड़ में चल रहा अवैध मदरसा

मौलाना आजाद मिडिल स्कूल को 8वीं कक्षा तक की शिक्षा देने की मान्यता प्राप्त थी। हालांकि, जांच के दौरान यह सामने आया कि यहाँ 9वीं और 10वीं कक्षा की कक्षाएं भी चल रही थीं, जो कि बिना मान्यता के की जा रही थीं। इसके अलावा, स्कूल की यूनिफॉर्म भी पारंपरिक कुर्ता-पायजामा और जालीदार टोपी थी, जो सामान्य स्कूल यूनिफॉर्म से भिन्न थी। अधिकांश बच्चे इसी यूनिफॉर्म में स्कूल में पाए गए।

जांच में यह भी सामने आया कि स्कूल का छात्रावास असल में एक इबादतखाना (मस्जिद) था, जहां खाना खाने और पढ़ने के स्थान पर नमाज़ अदा की जाती थी। इस प्रकार, स्कूल की आड़ में एक अवैध मदरसा संचालित हो रहा था, जो कि शिक्षा विभाग की अनुमति के खिलाफ था।

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बाल संरक्षण आयोग की जांच

बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि शुक्रवार को जिले के मदरसों और स्कूलों का औचक निरीक्षण किया गया। मौलाना आजाद मिडिल स्कूल सबसे पहले जांच के दायरे में आया। निरीक्षण के दौरान कई खामियां उजागर हुईं, जिनमें प्रमुख रूप से अवैध मदरसा संचालन की बात सामने आई। स्कूल में 365 बच्चे पाए गए, लेकिन उनका रिकॉर्ड और सत्यापन गायब था।

स्थानीय बच्चों को एडमिशन नहीं

ओंकार सिंह ने कहा कि यह मप्र का सबसे बड़ा अवैध मदरसा है। यहाँ स्थानीय बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया। स्कूल के रिकॉर्ड में यह भी नहीं दिखाया गया कि यहाँ किस स्थान के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ बच्चों के नाम मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में शामिल होने चाहिए थे, लेकिन वे सूची में नहीं पाए गए।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की संस्तुति की है। आयोग के सदस्यों ने कहा कि जांच के बाद संस्था के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए स्कूल के संचालकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में ऐसी अवैध गतिविधियाँ न चलें।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस मामले के खुलासे ने सागर जिले में राजनीति और समाज में हड़कंप मचा दिया है। स्थानीय जनता और राजनीतिक विश्लेषक इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं न केवल सरकारी तंत्र की साख को प्रभावित करती हैं बल्कि बच्चों के भविष्य को भी संदेह में डालती हैं।

समाधान की दिशा में कदम

इस विवाद के समाधान के लिए, यह आवश्यक है कि प्रशासन और शिक्षा विभाग तुरंत प्रभाव से कार्रवाई करें। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि अवैध गतिविधियों की जांच और निगरानी को लेकर सख्त उपायों की आवश्यकता है। भविष्य में ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए, सभी शैक्षणिक संस्थानों की नियमित निरीक्षण प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाना आवश्यक है।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह देखना होगा कि प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व इस मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि ऐसी अवैध गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

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