सिंगरौली जिले में खुले में पड़े बोरवेल हादसों का कारण बन रहे है। इनकी वजह से जिले के कई मासूमों की मौत हो गई, वहीं कई घायल हो गए। इसके बावजूद जिले में खुले में पड़े बोरवेल को कवर नहीं किया गया है।
जिले की देवसर जनपद पंचायत में आने वाले कठदहा ग्राम पंचायत क्षेत्र में बोरवेल खुला पड़ा हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ग्राम पंचायत ने 30 जुलाई को एक प्रमाण पत्र जारी कर गांव के सारे शासकीय और प्राइवेट बोरवेल का कवर होना बताया था। लेकिन, मंगलवार 5 अगस्त तक भी गांव में स्थित बोरवेल खुला पड़ा है।
बता दें कि जिले के कसर ग्राम पंचायत क्षेत्र में 29 जुलाई को 3 साल की मासूम सौम्या खुले बोरवेल में गिर गई थी। जिससे उसकी मौत तक हो गई थी। इसी तरह अप्रैल महीने में रीवा जिले के मनिका गांव के 6 वर्षीय मयंक कोल भी खुले बोरवेल गिर गया था।
14 साल पहले जारी हुई गाइडलाइन
देश के विभिन्न राज्यों में खुले बोरवेल में गिरकर बच्चों की मौत होने की घटनाओं को रोकने के लिए 6 अगस्त 2010 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसएच कापड़िया, न्यायमूर्ति केएस राधा कृष्णन और स्वतंत्र कुमार ने सभी राज्य सरकारों के लिए छह बिन्दुओं की गाइडलाइन जारी की थी। इसमें कहा गया था कि किसी भी भूस्वामी को बोरवेल के निर्माण और मरम्मत आदि से संबंधित कार्य की जानकारी 15 दिन पहले कलेक्टर या पटवारी को देनी होगी।
बोरवेल की खुदाई करने वाली कंपनी का जिला प्रशासन या अन्य सक्षम कार्यालय में रजिस्टर होना अनिवार्य होगा। इसके अलावा बोरवेल के आसपास साइन बोर्ड लगवाने, चारों ओर कंटीले तारों से घेराबंदी करने और खुले बोरवेल को ढक्कन लगाकर बंद कराने को कहा था। लेकिन, इस गाइडलाइन का प्रदेश के किसी भी जिले में पालन होता दिखाई नहीं देता है।
लापरवाही बरतने पर पंचायत सचिव सस्पेंड
मामले में देवसर जनपद पंचायत सीईओ संजीव तिवारी ने बताया कि गांव में स्थित बोरवेल 4 साल पुराना हैं। उसे पत्थर से ढक दिया गया था। बारिश के वजह मिट्टी खिसक जाने से ऊपर का भाग खुल गया। जिस पर पंचायत सचिव सुखराम सिंह को लापरवाही बरतने के मामले में सोमवार सस्पेंड कर दिया गया है।