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सिंगरौली: जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर रास्ता बंद! पटवारी पर जबरन कार्रवाई के आरोप, बैल गिरा तो टूटा पैर…

सिंगरौली | WPT NEWS 24

जिले के ग्राम धतूरा पोखरा से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहाँ एक पटवारी द्वारा कथित रूप से मनमानी कार्रवाई कर प्रार्थी के घर के सामने जेसीबी से गहरा गड्ढा खुदवा दिया गया। प्रार्थी अमित कुमार उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि पटवारी सोनम तिवारी ने बिना किसी पूर्व सूचना या वैध आदेश के पुलिस बल के साथ आकर यह कार्रवाई की, जिससे न केवल परिवार के आवागमन पर रोक लग गई, बल्कि एक बैल गड्ढे में गिरकर घायल भी हो गया।

घटना 17 जून 2025 को लगभग 4 बजे की बताई जा रही है, जब हल्का पटवारी करकोसा सोनम तिवारी ने ग्राम धतूरा पोखरा में जेसीबी मशीन से 1 मीटर चौड़ा, 5 फीट गहरा और 25 फीट लंबा गड्ढा खुदवाया। पीड़ित का कहना है कि यह गड्ढा उसके घर के मुख्य मार्ग को पूरी तरह बाधित करता है, जिससे वह, उसका परिवार और मवेशी सभी घर में कैद होकर रह गए हैं।

प्रशासनिक कार्यवाही या निजी द्वेष?

प्रार्थी ने आरोप लगाया कि पटवारी ने उनके विरोध पर पुलिस बल से डराया-धमकाया और गालियाँ तक दिलवाईं। वह लगातार गुहार लगाते रहे कि यह रास्ता उनके घर का एकमात्र निकास है, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। यही नहीं, 18 जून की सुबह प्रार्थी के रिश्तेदार प्रभुनारायण का बैल उसी गड्ढे में गिर गया, जिससे उसका पैर टूट गया। इससे पूरे गांव में आक्रोश की लहर दौड़ गई।

क्या यह नियमों के खिलाफ है?

प्रश्न यह उठता है कि क्या किसी सरकारी कर्मचारी को बिना नोटिस दिए किसी निजी भूमि या घर के सामने जेसीबी से खुदाई करने का अधिकार है? अगर यह सरकारी कार्यवाही थी, तो उसकी पारदर्शिता और वैधता पर प्रश्नचिन्ह क्यों लग रहे हैं? क्यों कोई दस्तावेजी सूचना, अधिसूचना या सार्वजनिक घोषणा इस कार्रवाई से पहले जारी नहीं की गई?

प्रशासन की चुप्पी और ग्रामीणों की बेचैनी

घटना के बाद प्रार्थी अमित उपाध्याय ने सिंगरौली कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने उपखंड अधिकारी और जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि:

  • गड्ढा तत्काल बंद कराया जाए,
  • पटवारी सोनम तिवारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो,
  • प्रभुनारायण के घायल बैल की पशुचिकित्सा सहायता और मुआवजा दिया जाए।

ग्रामवासियों का कहना है कि अगर जल्द ही प्रशासन ने इस पर ठोस कदम नहीं उठाया, तो गांव में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

क्या बोले अधिकारी?

इस मामले को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। न तहसील कार्यालय और न ही राजस्व विभाग ने कोई प्रतिक्रिया दी है। अगर यह सच है कि पटवारी ने जानबूझकर प्रार्थी के रास्ते को अवरुद्ध किया, तो यह न केवल मानवाधिकारों का हनन है बल्कि प्रशासनिक शक्ति का घोर दुरुपयोग भी है।

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न्याय की तलाश में एक ग्रामीण, सवालों के घेरे में प्रशासन!

धतूरा पोखरा का यह मामला प्रशासनिक मनमानी का प्रतीक बनता जा रहा है। क्या राजस्व विभाग के छोटे अधिकारी कानून से ऊपर हैं? क्या आम नागरिक की आवाज अब कागज़ों में दबा दी जाएगी?

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