सिंगरौली
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में विकास की रफ्तार को थामे खड़ी है एनएच-39 की जर्जर और अधूरी सड़क। यह सड़क सिंगरौली से सीधी जिले तक की जीवनरेखा मानी जाती है, लेकिन इसकी बदहाली ने लोगों की दिनचर्या को मुश्किलों से भर दिया है। आए दिन जाम, गड्ढे, बारिश में जलभराव और कोल वाहनों की खराबी इस मार्ग पर एक आम समस्या बन गई है।
बुधवार शाम को एक बार फिर लोगों को इसी दुश्वारी का सामना करना पड़ा, जब परेवा नाले के पास एक कोल वाहन के खराब हो जाने से लंबा जाम लग गया। घंटों तक लोग सड़क पर फंसे रहे। जो रास्ता आम दिनों में 20-30 मिनट में तय होता था, उसे पूरा करने में कई घंटे लग गए। राहगीरों में इसको लेकर भारी आक्रोश देखा गया।
निर्माणाधीन सड़क बनी समस्या की जड़
एनएच-39 को सिंगरौली और सीधी को जोड़ने वाली मुख्य सड़क माना जाता है, लेकिन इसका आधा-अधूरा निर्माण क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे, अधूरी साइड वर्क, खराब ड्रेनेज व्यवस्था और बारिश के मौसम में भर जाने वाला पानी लोगों को लगातार परेशान कर रहा है।
यह मार्ग न केवल आम यात्रियों, बल्कि कोयला परिवहन के लिए भी एक प्रमुख रूट है। भारी वाहनों की आवाजाही के चलते सड़क की हालत और भी खराब हो गई है। परेवा नाले के आसपास आए दिन कोल वाहनों के फंसने की खबरें सामने आती रहती हैं, जिससे जाम लगना सामान्य हो गया है।
मानव और आर्थिक नुकसान भी हो रहा भारी
लगातार लगने वाले जाम और सड़क की बदहाल हालत से न सिर्फ लोगों का समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि महंगे निजी वाहन भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। कई बार वाहन गड्ढों में फंस जाते हैं, तो कभी स्लिप होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में न सिर्फ आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि जान का खतरा भी बढ़ जाता है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई बार प्रशासन को ज्ञापन दिए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। बरसात में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है, जब गड्ढे पानी से भर जाते हैं और सड़क का स्वरूप पहचानना तक मुश्किल हो जाता है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं कि जब यह समस्या आम और लगातार बनी हुई है, तो फिर जनप्रतिनिधि और संबंधित विभाग आखिर क्यों मौन हैं? ना तो सड़कों की स्थिति पर संसद या विधानसभा में सवाल उठाए जा रहे हैं, और ना ही प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्ययोजना सामने आ रही है।
स्थानीय पत्रकारों और सोशल मीडिया पर भी आए दिन इस मार्ग की स्थिति को उजागर किया जा रहा है, लेकिन समाधान की दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए हैं।
क्या कहती है प्रशासनिक व्यवस्था?
प्रशासन की ओर से बार-बार यह कहा गया है कि सड़क निर्माण कार्य प्रगति पर है और जल्द ही यह मार्ग बेहतर होगा। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत है। निर्माण की रफ्तार धीमी है और कहीं-कहीं महीनों से कोई काम नहीं हुआ है।
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सिंगरौली से सीधी को जोड़ने वाला एनएच-39 मार्ग आज आम जनता के लिए विकास का मार्ग नहीं, बल्कि रोजमर्रा की यातनाओं का जरिया बन गया है। जाम, खराब सड़कें, बारिश में जलभराव और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी ने इस समस्या को और विकराल बना दिया है। ज़रूरत है कि अब जनता की आवाज़ को प्राथमिकता दी जाए और इस सड़क को जल्द से जल्द बेहतर किया जाए, ताकि आम जनजीवन राहत की सांस ले सके।