सिंगरौली (मध्य प्रदेश)।
जिले के चितरंगी ब्लॉक से एक बेहद चौंकाने वाली और दुखद घटना सामने आई है, जहां स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के चलते 25 वर्षीय युवक चुल्लू सिंह गोंड की एंबुलेंस में ही मौत हो गई। चुल्लू की जान सिर्फ इसलिए नहीं बच पाई क्योंकि 108 एंबुलेंस सेवा में ऑक्सीजन का सिलेंडर मौजूद नहीं था। घटना के बाद ग्रामीणों और परिजनों में भारी आक्रोश है और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
गंभीर हालत में किया गया था रेफर
जानकारी के अनुसार, चुल्लू सिंह गोंड, निवासी ग्राम केकराव, की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। परिजन आनन-फानन में उसे चितरंगी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) लेकर पहुंचे, जहां उसकी हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने तत्काल बेहतर इलाज के लिए सिंगरौली जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रेफर कर दिया। परिजनों को उम्मीद थी कि जल्द इलाज मिलने पर उसकी जान बच सकती है।
एंबुलेंस में नहीं था ऑक्सीजन सिलेंडर
रेफर करने के बाद चुल्लू को 108 एंबुलेंस सेवा के जरिए जिला अस्पताल ले जाया जा रहा था। लेकिन रास्ते में उसकी हालत और बिगड़ गई। परिजनों ने बताया कि चुल्लू को सांस लेने में परेशानी होने लगी। इस पर जब उन्होंने एंबुलेंस में ऑक्सीजन देने की मांग की तो पता चला कि गाड़ी में ऑक्सीजन सिलेंडर ही नहीं है। कुछ ही मिनटों में चुल्लू ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया।
हेल्पर ने भी मानी लापरवाही
घटना के बाद जब परिजनों ने सवाल उठाए, तो 108 सेवा में तैनात हेल्पर ने भी ऑक्सीजन की अनुपलब्धता की बात स्वीकार की। यह स्वीकारोक्ति स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों और कार्यप्रणाली की पोल खोलने के लिए काफी है। ऐसी स्थिति में जबकि मरीज को ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत थी, एंबुलेंस का खाली होना सीधे तौर पर विभाग की लापरवाही को दर्शाता है।

चुल्लू सिंह की मौत के बाद गांव के लोगों और मृतक के परिजनों में भारी आक्रोश है। उनका साफ आरोप है कि यदि एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर होता, तो शायद चुल्लू की जान बचाई जा सकती थी। ग्रामीणों ने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विफलता है। लोगों ने प्रशासन से इस लापरवाही के लिए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में
मामले को लेकर अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। न ही संबंधित सीएचसी और न ही 108 सेवा की ओर से किसी ने जिम्मेदारी ली है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जिले भर में चल रही 108 एंबुलेंस सेवाएं इसी स्थिति में हैं? अगर हां, तो यह किसी बड़ी त्रासदी का संकेत है।
सिस्टम पर उठते सवाल
यह घटना एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को उजागर करती है। जिस एंबुलेंस सेवा का मकसद आपातकाल में मरीजों को जीवनरक्षक सुविधाएं देना है, वह खुद ही ऐसी लापरवाही की मिसाल बन रही है। न सिर्फ यह चुल्लू सिंह की मौत का कारण बनी, बल्कि आने वाले दिनों में ऐसे और हादसों की आशंका भी बढ़ा दी है।
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चितरंगी ब्लॉक में घटी यह घटना एक चेतावनी है कि यदि सरकारी सेवाओं की जवाबदेही तय नहीं की गई, तो ऐसी मौतें दोहराई जाएंगी। अब ज़रूरत है कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले को गंभीरता से ले, दोषियों को सस्पेंड कर जांच कराए और सभी 108 एंबुलेंस को तुरंत ऑक्सीजन, दवाएं और जरूरी संसाधनों से लैस किया जाए।
ये सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं — यह पूरे सिस्टम की मौत है, जो समय पर सांस भी नहीं दे सका।