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सिंगरौली:- 5 करोड़ की बर्तन खरीदी में हेराफेरी, छत्तीसगढ़ की कंपनी पर शक

सिंगरौली: महिला एवं बाल विकास विभाग में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) रीवा संभाग की टीम ने छापेमारी की है। विभागीय अनियमितताओं की जांच के लिए आठ सदस्यीय टीम ने दस्तावेज खंगाले और बर्तन खरीदी में बड़े घोटाले की पुष्टि के संकेत मिले हैं। आरोप है कि डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड) मद से लगभग 4.98 करोड़ रुपये के बर्तन खरीदे गए, लेकिन उनकी वास्तविक कीमत इससे बहुत कम थी।

महंगे दामों पर बर्तन खरीदी, छत्तीसगढ़ की कंपनी पर शक

शिकायतों के आधार पर हुई इस छापेमारी में खुलासा हुआ कि सस्ते बर्तन महंगे दामों पर खरीदे गए। इन बर्तनों की आपूर्ति एक छत्तीसगढ़ की निजी कंपनी द्वारा की गई थी, जिसके दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी राजेश राम गुप्ता ने जानबूझकर महंगे दामों पर सामान खरीदा और इस प्रक्रिया में अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाया।

ईओडब्ल्यू की टीम ने खंगाले दस्तावेज

ईओडब्ल्यू की टीम ने कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर महिला एवं बाल विकास विभाग के दस्तावेजों की गहन जांच शुरू कर दी है। छापेमारी के दौरान बर्तन खरीदी से जुड़ी फाइलें, भुगतान के बिल और सप्लायर कंपनी के दस्तावेजों की पड़ताल की गई

ईओडब्ल्यू अधिकारियों के अनुसार, यदि इस मामले में गड़बड़ी साबित होती है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, जब टीम कार्यालय पहुंची तो कार्यक्रम अधिकारी राजेश राम गुप्ता कार्यालय में मौजूद नहीं थे। अधिकारियों ने बताया कि उनसे फोन पर संपर्क किया गया है और उनकी जांच भोपाल में भी हो सकती है

क्या था पूरा मामला?

  • डीएमएफ मद से महिला एवं बाल विकास विभाग ने 4.98 करोड़ रुपये के बर्तन खरीदे।
  • बर्तन सप्लाई करने वाली कंपनी छत्तीसगढ़ की थी।
  • शिकायत के बाद मामला विभागीय मंत्री तक पहुंचा, जिन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया।
  • ईओडब्ल्यू ने कलेक्ट्रेट कार्यालय में दस्तावेजों की जांच शुरू की।
  • यदि गड़बड़ी साबित होती है, तो दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।

क्या कहा अधिकारियों ने?

एक अधिकारी ने बताया, “शिकायत मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने इस मामले की जांच शुरू की। अगर अनियमितता पाई जाती है, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

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महिला एवं बाल विकास विभाग में हुए इस घोटाले ने प्रशासन को हिला कर रख दिया है। यह मामला सरकारी योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करता है। अब सभी की नजरें ईओडब्ल्यू की जांच पर टिकी हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो दोषियों को सख्त सजा मिल सकती है।

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