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सीधी जिले के शासकीय विद्यालय में छात्राओं से झाड़ू लगवाने का मामला, प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल

सीधी – सीधी जिले के सिहावल क्षेत्र स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोरौली कला में हाल ही में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां स्कूल में दो चपरासी तैनात होने के बावजूद छात्रों से सफाई कार्य करवाया जा रहा है। इस मामले ने शिक्षा व्यवस्था की लचर स्थिति और प्रशासनिक उपेक्षा को उजागर किया है, जिससे विद्यालय की साफ-सफाई की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।

विद्यालय में छात्रों से सफाई करवाने की घटना

विद्यालय में दो चपरासी तैनात होने के बावजूद छात्राओं से सफाई करवाना विद्यालय की प्रशासनिक असफलता को दिखाता है। जानकारी के अनुसार, स्कूल के प्रमुख कक्षों में सफाई की जिम्मेदारी चपरासियों के जिम्मे है, लेकिन इसके बावजूद, विद्यालय के प्रबंधन द्वारा छात्रों को झाड़ू लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। खासकर विद्यालय की छात्राएं सफाई कार्य में शामिल हो रही हैं, जबकि यह उनके शिक्षा और समय का दुरुपयोग है।

यह मामला उस समय सामने आया जब कुछ स्थानीय लोगों ने विद्यालय की सफाई व्यवस्था को लेकर अपनी चिंता जताई। स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि बच्चों का उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना है, न कि उन्हें सफाई जैसे गैर-शैक्षिक कार्यों में लगा दिया जाए।

प्रशासन और शिक्षा विभाग पर सवाल

सवाल यह उठता है कि जब स्कूल में दो चपरासी मौजूद हैं, तो फिर विद्यार्थियों से सफाई क्यों कराई जा रही है? विद्यालय के प्रधानाध्यापक की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध नजर आती है। क्या प्रधानाध्यापक ने इस स्थिति को नजरअंदाज किया है? क्या विद्यालय प्रशासन को यह नहीं समझना चाहिए कि बच्चों से सफाई करवाना न केवल उनके शैक्षिक समय का नुकसान है, बल्कि यह एक गलत परंपरा को भी जन्म देता है।

एक स्थानीय नागरिक ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सरकार की दुर्दशा के अलावा कुछ नहीं बचा है। यदि विद्यालय में दो-दो चपरासी तैनात हैं, तो फिर बच्चों से झाड़ू क्यों लगवाया जा रहा है? क्या यह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं है?” यह सवाल वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की उपेक्षापूर्ण स्थिति को उजागर करता है, जहां प्रशासनिक लापरवाही और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन खुलेआम हो रहा है।

अभिभावकों की चिंता

अभिभावकों का कहना है कि बच्चों से सफाई करवाने की परंपरा को खत्म करने की आवश्यकता है। “हम अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं ताकि वे पढ़ाई कर सकें, न कि उन्हें सफाई के काम में लगवाया जाए। अगर सफाई की जिम्मेदारी चपरासियों की है, तो उन्हें यह काम करना चाहिए, न कि बच्चों को इस काम में लगाना चाहिए,” एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।

यहां तक कि कुछ अभिभावकों का यह भी मानना है कि यह समस्या केवल सफाई तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिनकी ओर विद्यालय प्रशासन और शिक्षा विभाग को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। कई अभिभावक यह भी आरोप लगाते हैं कि विद्यालय में समय पर शिक्षकों की उपस्थिति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी है, जो बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है।

जिला शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई करनी चाहिए

इस मामले पर बात करते हुए, स्थानीय लोगों ने जिला शिक्षा अधिकारी से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह गंभीर मामला है, और इसके खिलाफ उचित कदम उठाए जाने चाहिए। “बच्चों से झाड़ू लगवाने की परंपरा नहीं होनी चाहिए। यह एक अपमानजनक और असंवेदनशील रवैया है। शिक्षा विभाग को इस मामले में संज्ञान लेकर स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए,” एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा।

क्या जिम्मेदार अधिकारी चुप हैं?

अक्सर प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस तरह की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। इस मामले में भी जिम्मेदार अधिकारी, जैसे कि शिक्षा विभाग और जिला शिक्षा अधिकारी, अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का यह रवैया बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है, और यह समाज के लिए एक चिंता का विषय है।

समाधान की दिशा में कदम

इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों को अपनी शिक्षा में बाधा न आए। इसके लिए एक ठोस कदम उठाना जरूरी है। शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि सफाई का कार्य चपरासी करें, और विद्यालय के प्रधानाध्यापक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे केवल अपनी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें, न कि अन्य कार्यों में समय बर्बाद करें।

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सीधी जिले के इस मामले से यह भी साफ है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए केवल नीतियों और योजनाओं की जरूरत नहीं है, बल्कि उनके सही क्रियान्वयन और प्रशासनिक जिम्मेदारी की भी आवश्यकता है।

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