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सीधी:- डिलीवरी के नाम पर नर्स ने मांगी रिश्वत, नहीं देने पर नहीं दिया डिस्चार्ज पेपर

सीधी: सीधी जिले के सिहावल जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत स्थित अमिलिया स्वास्थ्य केंद्र में एक नर्स द्वारा डिलीवरी के बाद पैसे की मांग करने का मामला सामने आया है। नर्स सुधा पटेल पर आरोप है कि उसने एक महिला के परिजनों से ₹500 की रिश्वत की मांग की और पैसे ना देने पर डिस्चार्ज पेपर देने से मना कर दिया। यह घटना 2 नवंबर 2024 को घटी, जब ग्राम घोपारी के निवासी कामोद पटेल अपनी गर्भवती पत्नी सरस्वती पटेल को लेकर अमिलिया स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे।

मामला क्या था?

घटना के अनुसार, सरस्वती पटेल की डिलीवरी के बाद स्टाफ नर्स सुधा पटेल ने उनके परिजनों से ₹500 की रिश्वत की मांग की। जब कामोद पटेल ने पैसे देने से मना किया, तो नर्स ने उन्हें धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो वह डिस्चार्ज पेपर नहीं देंगी। इस अप्रत्याशित घटना से परेशान होकर कामोद पटेल ने तत्काल इसकी शिकायत अमिलिया स्वास्थ्य अधिकारी से की।

रिश्वत की मांग पर लोगों का गुस्सा

यह पहली बार नहीं है जब शासकीय सेवा में कार्यरत किसी कर्मचारी पर रिश्वत की मांग करने का आरोप लगा हो। सरकारी अस्पतालों में अक्सर इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं, जहां कर्मचारी शासकीय सेवाओं का गलत इस्तेमाल करते हुए पैसे की मांग करते हैं। इस घटना के बाद से स्वास्थ्य केंद्र में काम करने वाली नर्स की मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ स्थानीय स्तर पर काफी चर्चा हो रही है।

लोगों का कहना है कि जब सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ्त होता है, तो फिर रिश्वत की मांग क्यों की जा रही है। साथ ही यह भी आरोप है कि अगर कोई व्यक्ति इसकी शिकायत करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के पास जाता है, तो भी उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।

शिकायत और कार्रवाई की प्रक्रिया

कामोद पटेल ने जब यह मुद्दा स्वास्थ्य अधिकारी से उठाया, तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और नर्स के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। स्वास्थ्य अधिकारी अमिलिया ने इस घटना की लिखित शिकायत प्राप्त की और मामला कलेक्टर सीधी, बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) और सिहावल प्रशासन को भेजा। अधिकारियों से तत्काल कार्यवाही की उम्मीद की जा रही है, ताकि दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके और इस तरह के मामलों पर रोक लगाई जा सके।

भ्रष्टाचार और शिकायतों का समाधान

ग्रामवासियों का आरोप है कि सरकारी सेवाओं में इस तरह की भ्रष्टाचार की घटनाएं अब आम हो गई हैं। लोग कहते हैं कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ कर्मचारी इस तंत्र का गलत इस्तेमाल करते हुए सरकार के प्रयासों को नकारा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत की जाती है तो उनका कोई समाधान नहीं होता। इसके अलावा, कई बार शिकायतों पर कार्रवाई भी बहुत धीमी हो जाती है, जिससे लोगों में सरकारी तंत्र के प्रति विश्वास की कमी होती है।

लोगों का विश्वास कैसे बहाल हो?

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी तंत्र में ऐसे कर्मचारियों को सजा मिलती है, जो लोगों को मुफ्त सेवाओं का लाभ देने की बजाय उनसे पैसे की मांग करते हैं। लोग चाहते हैं कि शिकायतों का समाधान तुरंत किया जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।

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निष्कर्ष

अमिलिया स्वास्थ्य केंद्र में हुई इस घटनापरक कड़ी आलोचना की जा रही है, और इस मामले में अधिकारियों से जल्द से जल्द जांच और कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है। इस तरह के मामलों को रोकने के लिए प्रशासन को अधिक सख्ती से भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने होंगे ताकि जनता का विश्वास सरकारी सेवाओं पर बना रहे।

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