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सीधी:- देवी दर्शन जा रहे दंपती को ट्रक ने कुचला, पति की मौके पर मौत, 3 घंटे तक नहीं पहुंची पुलिस

मध्य प्रदेश के सीधी जिले में सोमवार सुबह एक दिल दहला देने वाला सड़क हादसा सामने आया। देवी मंदिर बटौली में दर्शन के लिए जा रहे एक दंपती की बाइक को पीछे से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक सवार पति ट्रक के पिछले पहिए में फंस गया और मौके पर ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई, जबकि पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गई है।

हादसे की पूरी कहानी: दर्शन की राह में मौत का कहर

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हादसा सीधी जिले के जोगी बायपास क्षेत्र में हुआ, जब दंपती अपने मोटरसाइकिल से देवी बटौली मंदिर जा रहे थे। सुबह का वक्त था, सड़कों पर ट्रैफिक कम था, लेकिन ट्रकों की आवाजाही बनी हुई थी। अचानक पीछे से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। बाइक असंतुलित होकर गिर गई और पति ट्रक के पहिए के नीचे आ गया। हादसा इतना भयावह था कि ट्रक के नीचे फंसे शव को पहचान पाना भी मुश्किल हो गया।

पत्नी गंभीर रूप से घायल है और उसे तत्काल जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है।

पुलिस की लापरवाही बनी लोगों के आक्रोश की वजह

हादसे के बाद स्थानीय लोगों और राहगीरों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि तीन घंटे तक ना एम्बुलेंस पहुंची, ना पुलिस, और शव ट्रक के नीचे ही दबा रहा। मौके पर मौजूद लोगों ने ट्रक चालक को भागते देखा, लेकिन वह अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया।

इतने लंबे इंतजार के बाद भी पुलिस के मौके पर न पहुंचने पर परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। जोगी बायपास पर लोगों ने चक्का जाम कर दिया और ट्रैफिक रोक दिया। उनका आरोप था कि अगर समय रहते पुलिस पहुंचती तो घायल महिला की हालत इतनी गंभीर नहीं होती और मृतक के शव को सम्मानजनक तरीके से निकाला जा सकता था।

परिजनों का आरोप: सिस्टम ने मार डाला

हादसे के बाद मृतक के परिजन और स्थानीय लोग बेहद आक्रोशित नजर आए। परिजनों का कहना था कि यह सिर्फ एक एक्सीडेंट नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है।

स्थानीय निवासी रामसेवक द्विवेदी ने कहा, “यह सड़क पहले से ही बेहद खतरनाक है, फिर भी कोई ट्रैफिक नियंत्रण नहीं है। पुलिस तीन घंटे बाद पहुंचती है, क्या यही प्रशासनिक संवेदनशीलता है?”

प्रशासन पर उठते सवाल: जवाब कौन देगा?

सीधी जिला प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर एक जिले की मुख्य सड़क पर हुए इतने बड़े हादसे के बावजूद प्राथमिक रिस्पॉन्स में इतनी देरी क्यों हुई? क्यों नहीं ट्रैफिक को तुरंत रोका गया, या एंबुलेंस समय पर भेजी गई?

इस हादसे ने न सिर्फ एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही को भी बेनकाब कर दिया है

स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन लोगों को उम्मीद नहीं है कि कोई बड़ा बदलाव या जवाबदेही तय की जाएगी। मृतक के परिजनों को मुआवज़ा देने की बात कही गई है, लेकिन सवाल अब भी कायम है:

“कब सुधरेगा यह सिस्टम? कब मिलेगी समय पर मदद? और कब तक मौत यूं सड़कों पर यूं तड़पती रहेगी?”

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यह हादसा महज एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता का दस्तावेज है। जब मौत सामने खड़ी हो, और मदद हाथ खींच ले — तब इंसाफ सिर्फ एक शब्द बन जाता है।

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